-गांव में कराए मुनादी, बताएं फसल अवशेष जलाने के दुष्प्रभाव
-अवशेष प्रबन्धन यन्त्रों के बगैर न हो कम्बाइन का संचालन, सुनिश्चित कराए अफसर
लखीमपुर खीरी, 11 सितंबर (वेब वार्ता)। डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि फसल अवशेष जलाये जाने से उत्पन्न हो रहे प्रदूषण की रोकथाम के दृष्टिगत शासन अतिगंभीर है। आगामी माहों में खरीफ फसलों (धान, मक्का, उर्द आदि) तथा गन्ना की कटाई के पश्चात पराली/फसल अवशेष जलाये जाने की सम्भावना के दृष्टिगत फसलों के अवशेष जलाये जाने से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए अफसरो को सचेत करते हुए अपेक्षित कार्यवाही हेतु निर्देशित किया।
गांव में कराए मुनादी, बताएं फसल अवशेष जलाने के दुष्प्रभाव
डीएम ने निर्देश दिए कि फसल अवशेष जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के सम्बन्ध में ग्रामों में समयान्तर्गत मुनादी कराते हुए कृषकों को पराली जलाने से मिट्टी, जलवायु एवं मानव स्वास्थ्य को होने वाली हानि से अवगत कराया जाए एवं उन्हें सचेत किया जाए कि जिन कृषकों द्वारा पराली जलायी जाएगी उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।
फसल अवशेष प्रबन्धन के इस अभियान में स्थानीय जन प्रतिनिधि यथा ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान का सक्रिय सहयोग लिया जाये तथा ब्लॉक स्तर पर ग्राम प्रधानों का सम्मेलन करके उन्हें अवगत कराये कि वे इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करें तथा अपनी ग्राम पंचायत में कृषकों को फसल अवशेष न जलाये जाने हेतु प्रेरित करने के अभियान का नेतृत्व करें। ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में ग्राम पंचायतवार बैठक आहूत हो, जिसमें कृषकों को फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान, फसल अवशेष के प्रबन्धन के संबंध में व्यक्तिगत रूप से अवगत कराया जाए।
अवशेष प्रबन्धन यन्त्रों के बगैर न हो कम्बाइन का संचालन, सुनिश्चित कराए अफसर
एसडीएम-बीडीओ कृषि विभाग से समन्वय कर यह सुनिश्चित किया जाये कि फसल कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रारीपर अथवा स्ट्रा रेक एवं बेलर अथवा अन्य कोई फसल अवशेष प्रबन्धन यन्त्र का उपयोग अनिवार्य रूप से हो तथा उक्त व्यवस्था बगैर कोई भी कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई न करने पाये। यदि कोई भी कम्बाइन हार्वेस्टर सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर अथवा स्ट्रा रेक एवं बेलर या अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन यन्त्रों के बगैर चलते हुयी पायी जाये तो उसको तत्काल सीज करते हुये कम्बाइन मालिक के स्वयं के खर्च पर सुपर स्ट्रा- मैनेजमेन्ट सिस्टम लगवाकर ही छोड़ा जाये। इस हेतु पुलिस-परिवहन महकमे का सहयोग भी प्राप्त करे।
पराली का करे इन सीटू प्रबंधन बनाएं कम्पोस्ट, कृषकों को करे प्रोत्साहित : डीएम
डीएम ने कहा कि यह भी जागरूक किया जाए कि खेतों में फसल अवशेष को शीघ्रता से सड़ाने हेतु पानी भरकर यूरिया का छिड़काव भी किया जा सकता है। इससे शीघ्रता से फसल अवशेष खाद के रूप में परिवर्तित हो जाता है। धान की पराली का इन सीटू प्रबंधन कर कृषकों को खेत में तथा सामुदायिक तौर पर कम्पोस्ट बनाने हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसके लिए किसान के खेत में अथवा सामुदायिक स्थलों पर उचित क्षमता बाले कम्पोस्ट खाद के गड्ढे का खुदान कराया जा सकता है। कम्पोस्ट खाद के गड्ढे का खुदान पराली/नरई/पताई को उखाड़ने, उनको उठाकर लाने व गड्ढे में डालने तथा अन्य सामग्री मद का वहन शतप्रतिशत मनरेगा से किया जा सकता है।
गड्ढे में पराली डालने के बाद इस पर बायो डिकम्पोजर द्वारा तैयार कल्चर का छिड़काव किया जाये। यह छिड़काव गड्ढे में एकत्रित पराली पर 3-4 दिनों के अन्तराल पर कई बार किया जायेगा। इससे कम्पोस्ट खाद तैयार हो जायेगी तथा इस कम्पोस्ट खाद का प्रयोग गेहूं की फसल लेने के दौरान खेतों में किया जा सकता है। इससे निश्चित तौर पर गेहूं की पैदावार में वृद्धि होगी तथा रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होगी। फसल अवशेष प्रबंधन हेतु गत वर्षों की भाँति बायो डिकम्पोजर के प्रयोग के प्रति किसानों को जागरूक किया जाए, जिससे कृषक अपने खेत में ही डिकम्पोजर का प्रयोग कर शीघ्रता से फसल अवशेषों को सड़ा सकें तथा अपने खेतों में जैविक अंश बढ़ा सकें। इससे फसल अवशेष जलाये जाने की घटनाओं में कमी आयेगी।