कुशीनगर 5 अगस्त, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बड़ी गंडक नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव होने के कारण एपी तटबंध के संवेदनशील बिंदुओं पर खतरा मंडराने लगा है। जलस्तर में कमी जरूर हुईए लेकिन इसके साथ ही अब ग्रामीणों को यह डर सताने लगा है कि अगर दोबारा नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई तो नदी सबसे पहले संवेदनशील बिंदुओं को निशाने पर लेकर कहर बरपाना शुरू कर देगी और तीन साल से रडार पर रहे डीह टोला बाढ़ की चपेट में आ जाएगा।
ग्रामीणों का कहना है कि कचहरी टोले का अस्तित्व मिटाने के बाद नदी का रूख सीधे तौर पर डीह टोला की ओर है। ऐसे में टोले में बचे हुए 100 घरों पर नदी कहर बरपाएगी।
तमकुहीराज तहसील क्षेत्र से होकर बह रही बड़ी गंडक नदी के जलस्तर में उतार.चढ़ाव होने से तटबंध के समीप बसे गांवों के लोग भयभीत हैं। जलस्तर में कमी होने के बाद भी नदी अहिरौली दान के डीह टोला में घुसने को आतुर दिखी। साल 2018 में कचहरी टोला का अस्तित्व मिटाने के बाद से नदी का रूख डीह टोला की तरफ से है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर इस बार जलस्तर में वृद्धि हुई तो डीह टोला की आबादी में घुसकर नदी कहर बरपाएगी। 150 घरों की आबादी वाले इस टोले में 50 घरों को पहले ही नदी निगल चुकी है।
बचे हुए 100 घर भी मौजूदा समय में नदी के निशाने पर हैं। वहीं, नदी के जलस्तर में वृद्धि होने के बाद से ही पिपराघाट के अधिकांश टोले भी पानी से घिरे हुए हैं। शुक्रवार को जलस्तर कम होने के बाद भी पिपराघाट के टोलों पर पानी लगा रहा। प्राथमिक विद्यालय के परिसर में पानी लगा होने के कारण पठन- पाठन प्रभावित हो गया है। इसी तरह नरवाजोत से चैनपट्टी होते हुए अहिरौलीदान बंधे पर नदी का भारी दबाव है।
बड़ी गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि होने के बाद सेवरही क्षेत्र के पिपराघाट के समीप बसे गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा था। गुरुवार को नदी के डिस्चार्ज में कमी तो हुईए लेकिन संकट कम नहीं हुआ है। किसानों की फसलों को नदी आगोश में लेने के लिए आतुर दिख रही है। इससे किसान चिंतित नजर आ रहे हैं।
बाढ़ के पानी से खेत जलमग्न हो चुके हैं। उसमें बोयी गई धान और गन्ने की फसल भी पानी में डूब चुकी है। पिपराघाट गांव के देवनारायण टोला निवासी भोला यादव का कहना है कि उन्होंने 40 कट्ठा खेत में धान की फसल लगाई हैए जो मौजूदा समय में बाढ़ के पानी से जलमग्न हो चुका है