गोरखपुर, 13 सितंबर (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विद्यालय में संचालित पांच संकाय बंद हो सकते हैं। यह संकाय कुलाधिपति के बिना अनुमति के पूर्व कुलपति ने संचालित कराया था। नैक मूल्यांकन से पहले संकाय की संख्या आठ से बढ़ाकर 13 कर दिया गया। नवागत कुलपति ने नियम एवं परिनियम के खिलाफ चल रहे संकाय पर रोक लगाने का संकेत सोमवार को अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्षों की बैठक में दिया है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय में परंपरागत संकाय कलाए वाणिज्यए विज्ञानए विधि व शिक्षा के अलावा तीन अन्य संकाय कृषिए चिकित्सा और इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संचालित हो रहा है। पूर्व कुलपति प्रोण् राजेश सिंह ने नैक मूल्यांकन से पहले विद्या परिषद एवं कार्यपरिषद से पांच और संकाय को पास कराया। इसमें ललित और प्रदर्शन कलाए भाषाए ग्रामीण विज्ञानए व्यावसायिक पाठयक्रम और प्रबंधन संकाय शामिल हैं। इस संकाय को पास कराने के बाद उसके अनुमोदन के लिए कुलाधिपति के पास भेजा।
कुलाधिपति का अनुमोदन मिलता इससे पहले ही इन संकायों को शुरू कर दिया। उनके अधिष्ठाता की तैनाती भी कर दी गई। इस बीच राजभवन से संकाय के संचालन के अनुमोदन देने के बजाय उसके औचित्य के संदर्भ में जवाब मांगा गया। इसके बावजूद संकाय का संचालन होता रहा। कुलपति प्रो पूनम टंडन को सोमवार को प्रशासनिक भवन के कमेटी हॉल में अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्षों की बैठक में सख्त लहजे में कहा कि सभी निर्णय विश्वविद्यालय की संस्थाओं, बोर्ड ऑफ स्टडीज, अकादमिक परिषद, कार्यपरिषद, वित्त समिति, परीक्षा समिति की ओर से ही लिया जाएगा।
यह है संचालित होने वाले आठ संकाय
कृषि संकाय
कला संकाय
वाणिज्य संकाय
इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय
कानूनी अध्ययन संकाय
चिकित्सा संकाय
विज्ञान विभाग संकाय
अध्यापक एवं शिक्षा संकाय
यह है पांच नवगठित संकाय
ललित कला और प्रदर्शन कला संकाय
भाषा संकाय
ग्रामीण विज्ञान संकाय
व्यावसायिक पाठयक्रम संकाय
प्रबंधन संकाय
कानूनी अध्ययन संकाय फिर होगा विधि संकाय
पांच संकाय के गठन के साथ ही विधि संकाय का नाम भी बदल दिया गया था। विधि संकाय का नाम बदलकर उसे कानूनी अध्ययन संकाय कर दिया गया था। पांच नवगठित संकाय के साथ उसको भी अनुमोदन के लिए कुलाधिपति के पास भेजा गया था। अनुमति नहीं मिलने पर यह संकाय भी अपने पुराने नाम से संचालित हो सकता है।
इस संबंध में प्रो शांतनु रस्तोगी कुलसचिव गोविवि ने कहा है कि कोई भी नया संकाय तब तक नहीं शुरू हो सकता, जब तक उसे कुलाधिपति के अनुमति के बाद परिनियम में शामिल न किया जाय। इसलिए नए फैकल्टी के गठन को होल्ड पर रखने पर विचार किया जा रहा है।