– कुमार मुकेश –
कब तक मीडिया कर्मी उच्चाधिकारियों की कठपुतली बनकर नाचते रहेंगे?
अंबेडकरनगर(वेबवार्ता)- शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी ने भले ही विज्ञापन नीति तैयार करने के आदेश दे रखे हों, लेकिन अफसरों के ‘खेल’ में अंबेडकरनगर की विज्ञापन नीति ‘फेल’ हो गई।विज्ञापन नीति जिला अधिकारी के पास सूची भेजकर जिलाधिकारी से इस पर मंजूरी लेनी थी।
संवाददाताओं से वार्ता के दौरान सूचना अधिकारी संतोष द्विवेदी ने कहा किसी विभाग को विज्ञापन देने के लिए मना नहीं किया गया है बल्कि परमिशन लेने के लिए कहा गया परंतु विभागों द्वारा अभी तक विभागों द्वारा भी यह सूची जिलाधिकारी को नहीं भेजी जा सकी है।
कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा, “मुझे लगता है कि अंबेडकर नगर जनपद के शासन प्रशासन के उच्चअधिकारी भी यह समझ रहे है कि मीडिया का एक हिस्सा उसके आगे मुश्किलें खड़ी कर रहा है और एक अन्य भाग वास्तव में अपना काम कर रहा है और मैं सोचता हूं कि यह फर्क शासन तथा प्रशासन और श्रोताओं दोनों के बीच पूरी तरह स्पष्ट हो गया है।
तथ्य तो यह है कि कुछ तथाकथित उच्च अधिकारी जबरदस्त व्यवस्था विरोधी मीडिया ने कभी सरकार के नेक कामों की सराहना करने वाली कोई स्टोरी नहीं छापी, इस वजह से उन्होंने उच्च अधिकारियों से सख्त सवाल पूछने की अपनी वैधता गंवा दी है, जिससे विज्ञापनों को भी बहुत नुकसान पहुंचा है लेकिन उच्चाधिकारियों से सवाल पूछने पर जिला अधिकारी के आदेश का हवाला देकर टाल दिया जाता है।
मीडिया कर्मियों को कष्ट तब हुआ जब सरकारी विभागों से 15 अगस्त के अवसर पर विज्ञापन नहीं दिया गया। जिससे मीडिया कर्मियों में आक्रोश व्याप्त है और इनके द्वारा दबी जुबान से यह भी कहा जा रहा है उच्चाधिकारियों द्वारा केवल मीडिया कर्मियों का प्रयोग सरकारी न्यूज़ निशुल्क छपवाने के लिए किया जाता है और जब 15 अगस्त और 26 जनवरी का समय आता है तो अधिकारी अपना चेंबर छोड़कर लापता हो जाते हैं जिससे अखबारों को विज्ञापन ना देना पड़े।