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Friday, September 22, 2023

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान में देश के आठ राज्यों ने किया प्रतिभाग

-पांच दिवसीय ”फ्रोजेन सीमेन प्रोडक्शन आयोजित

बरेली, 11 सितंबर (देश दीपक गंगवार)। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में पांच दिवसीय ”फ्रोजेन सीमेन प्रोडक्शन“ पर उद्यमिता विकास कार्यक्रम का आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम संयुक्त रूप से संस्थान के एबीआई केन्द्र तथा पशु पुनरूत्पादन विभाग द्वारा आयोजित किया गया है।कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, बिहार और दिल्ली से पधारे आठ प्रशिक्षणार्थी नें भाग लिया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि एवं संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉक्टर रूपसी तिवारी ने किया।

डॉक्टर रूपसी ने कहा कि पशुपालन बहुत महत्वपूर्ण है। पशुपालन का देश की जीडीपी में 4.5 प्रतिशत योगदान है जबकि कृषि में इसका योगदान लगभग 30 प्रतिशत का है। यही कारण है कि भारत सरकार द्वारा मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय नामक एक अलग मंत्रालय का गठन किया गया है। पशुपालन क्षेत्र अपने आप में बहुत बड़ा है और इसमें तेजी से विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में बहुत सारे र्स्टाट अप बन रहे हैं जो कि पूरे देश में अपनी सेवायें दे रहे हैं। देश में अभी र्स्टाटअप के लिए बहुत ही अनूकुल वातावरण है जिसके फलस्वरूप आज देश में लगभग 110 यूनिर्कान बन चुके हैं। र्स्टाटअप को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। कृषि मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित आरकेवीवाई रफ्तार परियोजना हमारे संस्थान में चल रही है।

Indian veterinary research-पशुपालन क्षेत्र में उद्यमिता विकास के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन एवं डेयरी इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फन्ड, एनीमल हसब्रेंडी इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फन्ड, जैसी विभिन्न परियोजनाओं का संचालन किया जा रहा है। पशुओं में कृत्रिम गभार्धान में आईवीआरआई, इज्जतनगर का महत्वपूर्ण योगदान है तथा संस्थान के जर्मप्लाज्म केन्द्र में वृदावनी, साहिवाल, थारपारकर तथा मुर्रा भेंसों के सीमेन उपलब्ध है। वही उन्होंने कहा कि गौ संवर्धन में कृत्रिम गर्भाधान का बहुत महत्व है आने वाले वर्षों में फ्रोजन सीमेन की और अधिक आवश्यकता होगी जिसे पूरा करने में प्रशिक्षित उद्यमियों का अहम रोल होगा। एबीआई परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ बबलू कुमार ने कहा की विगत वर्षों में इस परियोजना के अंतर्गत सुकर पालन, डेरी फार्मिंग एवं मिल्क प्रोसेसिंग, मीट प्रोसेसिंग, फ्रोजेन सीमेन प्रोडक्शन, एनिमल फीड टेक्नोलॉजीज आदि पर 29 उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है जिनमें करीब 635 लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

इस अवसर पर पशु पुनरूत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एम. एच. खान ने बताया कि भारत में गायों एवं भैंसों की संख्या तथा दूध उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान पर हैं परन्तु कृत्रिम गर्भाधान में और सुधार करने की आवश्यकता है वर्तमान में यह दर मात्र 30 प्रतिशत है। यदि इस दर को बढ़ा दे तो भारत में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो जायगी। उन्होंने कहा उच्च गुणवत्ता के सीमेन उत्पादन की वृद्धि पर जोर दिया। इस दिशा में और अधिक कारने की जरूरत है। कृत्रिम गर्भाधान की सफलता में पोषण की भूमिका पर भी जोर दिया। कार्यक्रम के समन्वयक एवं प्रभारी जर्म प्लाज्म सेंटर डा एस के घोष ने बताया की भारत में सीमेन प्रोडक्शन केन्द्र कम हैं इसको बढ़ाने की आवश्यकता है इसके लिए भारत सरकार स्टार्टअप उद्यमियो को आगे आना होगा। एवं उन्होंने कहा कि कृत्रिम गर्भाधान के लिए सीमेन की मांग बढ़ गई है।

डा. एस. के घोष ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम 15 सितम्बर तक चलेगा जिसमे ज्यादातर प्रयोगात्मक परीक्षण कराये जायेंगे। इसके अतिरिक्त गुणवत्ता के लिए बैल का चयन, पशु प्रजनन और संतान परीक्षण वीर्य उत्पादन, सांडों का प्रशिक्षण, सांडों का स्वास्थ्य एवं शेड प्रबंधन, सीमेन संग्रह आयन, मूल्यांकन आयन, प्रसंस्करण और फ्रीजिंग, जमे हुए वीर्य की गुणवत्ता नियंत्रण तथा कृत्रिम गर्भाधान पर विस्तार से जानकारी प्रदान की जायेगी। कार्यक्रम का संचालन एबीआई के प्रधान अन्वेषक डा. बबलू कुमार द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन आईटीएमयू प्रभारी डा. अनुज चौहान द्वारा दिया गया। इस अवसर पर डा एल सी चौधरी, डा मुकेश कुमार, डा संजीव मेहरोत्रा, डा एस नन्दी, डा मानस पात्रा, डा. नीरज श्रीवास्तव, डा. बृजेश कुमार, टीम ए.बी.आई के सौरभ सिंह, पुनीत कुमार और सुरेश कुमार आदि उपस्थित रहे।

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