गोरखपुर / कुशीनगर (वेबवार्ता)- उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में इस बार मेयर पद के लिए हर वर्ग के लोग अपनी किस्मत अजमा सकते हैं। पिछले काफी समय से नगर निगम मेयर के आरक्षण पर चल रही चर्चाओं पर बृहस्पतिवार को विराम लग गया। गोरखपुर नगर निगम मेयर की सीट की सामान्य घोषित कर दी गई है।
यह पहला मौका है जब सीट अनारक्षित हुई है। वहीं, आरक्षण को लेकर तस्वीर साफ होने के बाद राजनीतिक दलों की हलचल तेज हो गई है। सभी प्रमुख दलों के दावेदार सक्रिय हो गए हैं। एक बार छोड़कर हर बार इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है!
दिसबंर में भी मेयर को लेकर आरक्षण जारी हुआ तो गोरखपुर की सीट सामान्य ही थी। जिसके बाद सभी दलों में सक्रियता बढ़ी थी। एक बार फिर आरक्षण को लेकर नोटिफिकेशन जारी होने के बाद सक्रियता बढ़ गई है। वर्ष 1994 में नगर निगम के गठन के बाद से मेयर की सीट तीन बार अन्य पिछड़ा वर्ग ए एक बार अन्य पिछड़ा वर्ग महिला और एक बार सामान्य महिला के लिए आरक्षित रही है।
एक बार को छोड़कर हर बार इस पद पर भाजपा का कब्जा रहा है। एक बार ट्रांसजेंडर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी मेयर बनीं थीं। हालांकिए तब भी यह सीट आरक्षित थी। उन्होंने मेयर का पद जीतकर प्रदेश में किसी नगर निगम में ट्रांसजेंडर के मेयर बनने का रिकार्ड बनाया था।
12 फरवरी 1989 से 22 फरवरी 1994 तक पवन बथवाल नगर प्रमुख थे। उन्हीं के कार्यकाल में नगर महा पालिका से नगर निगम वजूद में आया था। पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा के राजेंद्र शर्मा नगर निगम के पहले मेयर बने थे।
साल 2000 में पहली बार ट्रांसजेंडर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी चुनाव जीतकर मेयर बनीं। तब यह पद अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित था। साल 2006 के चुनाव में मेयर का पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद भाजपा से अंजू चौधरी मेयर चुनी गईं।
वर्ष 2012 के चुनाव में मेयर की सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई। इस बार भाजपा से सत्या पांडेय मेयर निर्वाचित हुईं। साल 2017 में मेयर की सीट फिर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद भाजपा के टिकट पर सीताराम जायसवाल मेयर बने।
मेयर आरक्षण साल
राजेंद्र शर्मा अन्य पिछड़ा वर्ग 1995
अमरनाथ यादव अन्य पिछड़ा वर्ग 2000
उर्फ आशा देवी महिला
डॉ अंजू चौधरी अन्य पिछड़ा वर्ग 2006
डॉ सत्या पांडेय सामान्य महिला 2012
सीताराम अन्य पिछड़ा वर्ग 2017