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Sunday, October 1, 2023

फसल अवशेषों को जलाने से वातावरण पर पड़ेगा दुष्प्रभाव, फसल अवशेष ना जलाने का ले संकल्प : डीएम

-डीएम ने बताएं फसल अवशेष जलाने के दुष्प्रभाव

-डीएम ने फसल अवशेष जलाने से रोकने को बनाई त्रिस्तरीय समितियां

लखीमपुर खीरी, 05 सितंबर (शिवम वर्मा)। फसलों के अवशेष जलाये जाने से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने नित नए प्रयास करते हुए किसानों को जागरुक कर रहे हैं। डीएम ने कहा कि कई किसान भाई जानकारी के अभाव में फसल अवशेष जैसे धान की पराली, गन्ने की पत्ती आदि जला दे रहे है, इससे फसल अवशेषों को जलाने से वातावरण पर दुष्प्रभाव पड़ने के साथ अन्य कई प्रकार की हानियां हो रही है।

डीएम ने फसल अवशेष जलाने से होने वाली हानि बताते हुए कहा कि आपके स्वयं की खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। मिट्टी में रहने वाले केचुएं मर जाते है। फसलों के लिए उपयोगी जीवाणु मर जाते है। फसल अवशेष में उपलब्ध पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाता है। पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है जो लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी होने लगती है, सांस लेने में दिक्कत होती है।

विशेषकर अस्थमा के मरीजों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। जाड़े के मौसम में पराली के धुएं से धुंध जैसा बन जाता है, जिससे पौधों में प्रकाश से पोषण के द्वारा भोजन करने में हेतु पर्याप्त मात्रा में प्रकाश नहीं मिल पाता परिणाम स्वरूप फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है। फसलोंत्पादन पूरी लागत लगाने के बाद भी वातावरण की धुंध के कारण उत्पादन कम होता है। किसान भाई फसल अवशेष जलाने के बजाए उसे मिट्टी में मिला दें, इससे मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। मृदा में केचुआ जीवाणओं की संख्या बढ़ती है, जो फसलों के लिए लाभ दायक है।

कृषि विभाग से फ्री प्राप्त करें डी कंपोजर, फसल अवशेष का करें प्रबंधन, बनाएं खाद

डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराया जा रहा है। इच्छुक किसान यंत्र क्रय कर सकते है। स्वयं का तथा आसपास के किसानों को फसल प्रबन्धन में सहयोग कर सकते है। कृषि विभाग द्वारा डी-कम्पोजर निःशुल्क दिया जा रहा है, जिसका प्रयोग करके फसल अवशेष को जल्द से सड़ाकर खाद बनायी जा सकती है। फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए विभिन्न कृषि यंत्र जैसे-मल्चर, सुपर सीडर, पैडी स्ट्राचापर आदि उपलब्ध है। जो ग्राम पंचायत, गन्ना समिति तथा पंजीकृत किसान समितियों के पास उपलब्ध है जहाँ से किराये पर लेकर फसल अवषेष को मिट्टी में मिल से कार्य आसानी से खाद बना सकते है।

पराली फसल अवशेष जलाना अपराध : डीएम

डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि अपनी ग्राम पंचायत में जिन किसानों के द्वारा हार्वेस्टर/रीपर से फसल की कटाई की जा रही या गन्ने की पत्ती का अवशेष उपलब्ध है, उनको प्रेरित करके खेत में ही प्रबन्धन करायें। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देशों के क्रम में पराली फसल अवशेष जलाना अपराध है। फसल अवषेष जलाने पर 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिये रू. 2500/- प्रति घटना, 02 एकड़ से 05 एकड़ के लिये रू. 5000/-प्रति घटना, 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए रू. 15000/- प्रति घटना जुर्माना किया जायेगा।

डीएम ने फसल अवशेष जलाने से रोकने को बनाई त्रिस्तरीय समितियां

डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने फसल अवशेष जलाये जाने से रोकने के लिए जनपद, तहसील एवं विकास खण्ड स्तर पर सेल गठित है। प्रत्येक स्तर पर गठित समिति द्वारा उनके लिए निर्धारित कार्यों का कुशलतापूर्वक निष्पादन करेंगे तथा सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी दशा में पराली जलाने की घटना घटित न हो, इसके लिए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करेंगें।

जनपद स्तरीय समिति : एडीएम अध्यक्ष एवं एएसपी, डीडी कृषि जिला कृषि अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि सदस्य बनाया गया। एडीएम की अगुवाई वाली यह सेल फसल कटाई से रबी की बुवाई तक आवश्यक मानीटरिंग की कार्यवाही सुनिश्चित करेगी तथा प्रत्येक दिन अनुश्रवण करते हुए रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा गठित समिति अपर मुख्य सचिव (पर्यावरण विभाग), अपर मुख्य सचिव (कृषि), उप्र को प्रेषित करेगी।

तहसील स्तरीय समिति : उप जिलाधिकारी अध्यक्ष एवं क्षेत्राधिकारी पुलिस, उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी, ईओ नगरीय निकाय (सम्बन्धित तहसील) के सदस्य है। यह समिति तहसील क्षेत्र में फसल अवषेष प्रबन्धन सम्बन्धी कार्यों की सघन समीक्षा कर फसल अवशेष जलाये जाने सम्बन्धी घटनाओं को रोकने की रणनीति बनाकर क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी।

ब्लॉक स्तरीय समिति : बीडीओ अध्यक्ष एवं नायब तहसीलदार, एडीओ (कृषि), एडीओ (पंचायत), एपीओ मनरेगा सदस्य हैं। यह समिति के सभी सदस्य समन्वय स्थापित करके विकास खण्ड में फसल अवशेष प्रबन्धन की कार्यवाही का कुशल संचालन सुनिश्चित करेंगें।

बीएसए-डीआईओएस की अगुवाई में विद्यालयों में चल रहा जागरूकता अभियान

खीरी में फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण, मानव स्वास्थ्य को होने वाली क्षति के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। इस हेतु बीएसए, डीआईओएस की अगुवाई में प्रत्येक प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर विद्यालय में छात्रों की समाएं आयोजित कर फसल अवशेष प्रबंधन की आवश्यकता विषय पर परिचर्चा की जा रही तथा छात्रों में इस विषय पर निबंध, चित्रकला जैसी प्रतियोगिता आयोजित कर छात्रों को प्रेरित किया जा रहा है। विद्यालय स्तर पर परिचर्चा/प्रतियोगिता में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक तथा कृषि विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों भी शामिल हो रहे।

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