बरेली, 27 सितंबर (देश दीपक गंगवार)। सुन्नी बरेलवी मरकज़ अहल-ए-सुन्नत खानकाहे रज़विया दरगाह आला हज़रत बरेली शरीफ की ज़माने से ही यह परम्परा रही है कि यहां पैगम्बरे ईस्लाम के यौमे पैदाइश जश्ने ईद मिलादुन्नबी के रुप में मनाई जाती है और पूरे विश्व के मुसलमानों से आह्वान किया जाता है और ईद मिलाद को सब एक पर्व के रुप में खूब धुमधाम के साथ मनाऐं और विश्व भर में इसे शान्तिवाद व मानवतावाद के प्रतीक का अनुठा उदाहरण बताए। ईद मिलाद की पूर्व संध्या पर दरगाह स्थित टीटीएस मुख्यालय पर सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) ने सभी लोगों से कहा कि ईद मिलादुन्नबी का त्यौहार प्यार, मुहब्बत, अमन, शांति और मानवतावाद का प्रतीक है। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने मुफ्ती अहसन मियां के बयान की जानकारी देते हुए बताया कि हमारे नबी को अल्लाह ने दुनिया मे रहमत बनाकर भेजा। आपने इंसानों के साथ साथ चरन्द (पशु) व परन्द (पक्षी) के हक़ में आवाज़ बुलंद की। महिलायों व मज़दूरों को उनका हक़ दिलाया। नशाखोरी व सूद को हराम करार दिया। पेड़ पौधे लगाने को सवाब (नेक काम) बताया। जश्ने ईद मिलादुन्नबी हम सब को शिक्षा, सीख और प्रेरणा देता है कि हम सब मुसलमान अपने नबी के बताए हुए अखलाक को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बनाएं। जश्न ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर जो भी जायज़ खर्च किया जाता है वह सब बरकत देता है। आगे सज्जादानशीन ने सभी से अपील करते हुए कहा कि जुलूस की रूहानियत को बरकरार रखते हुए सभी अंजुमने सादगी के साथ बिना डीजे के शामिल हो। जुलूस में कोई बीमार या एंबुलेंस के लिए पहले जगह दे। फूल बाटते चले। इस मौके पर टीटीएस राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य शाहिद नूरी, अजमल नूरी, परवेज नूरी, औररंगजेब नूरी, ताहिर अल्वी, हाजी जावेद खान, शान रज़ा, मंजूर रज़ा, मुजाहिद रज़ा, आलेनाबी, इशरत नूरी, काशिफ सुब्हानी, जुहैब रज़ा, मुस्तकीम नूरी, अशमीर रज़ा, सबलू अल्वी, मोहसिन रज़ा, अजमल खान, समी खान, युनुस गद्दी, इरशाद रज़ा, आदिल रज़ा, रोमान रज़ा, जुनैद चिश्ती, आसिम हुसैन, मिर्जा जुनैद, गजाली रज़ा आदि मौजूद रहे। वही 28 सितंबर को सुबह 8 बजे से दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) के घर पर ईद मिलाद का जश्न मनाया जायेगा। उलेमा की तकरीर होगी। लंगर तकसीम किया जाएगा।