अम्बेडकर नगर(वेब वार्ता)- जनपद मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर सरकारी धन की लूट मची है जहां इंटरलॉकिंग के नाम पर ठेकेदार और ब्लॉक प्रमुख सरकारी धन का बंदर बांट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ हैं।
मामला विकास खण्ड बसखारी ग्राम पंचायत हरैया महमूदपुर रामदीन सिंह (मलेदा) का है जहां बसखारी से ,3 किमी जलालपुर रोड पर कल्प महाविद्यालय के ठीक सामने से खड़ंजे पर इंटरलॉकिंग का कार्य चल रहा है जो कार्य कराया जा रहा है वह ब्लॉक प्रमुख निधि से हो रहा है। ठेकेदार की मनमानी से मानक के विपरीत कार्य किया जा रहा है पीले ईट और घटिया मैटेरियल से साइड की जुडाई कर दिया गया है ऐसे घटिया कार्य को देखकर ग्रामीणों का आक्रोश सातवें आसमान पर और ग्रामीणों द्वारा इंटरलॉकिंग कार्य कार्य को रुकवा दिया गया।
बड़े मजे की बात तो यह है ब्लॉक प्रमुख एक ऐसा पद है जो विकास और जनता को सुख सुविधा पहुंचाने का है लेकिन ब्लॉक प्रमुख की निधि से जो रुपए खर्च किए जा रहे हैं जगह-जगह सभी जगह का कार्य घटिया क्वालिटी से करवाया जा रहा है ।
आखिर ब्लॉक प्रमुख निधि तो दे देते हैं लेकिन जहां ब्लॉक प्रमुख निधि से कार्य चल रहे हैं वहां तक ब्लॉक प्रमुख कभी जाते ही नहीं कि कैसा निर्माण हमारी निधि से कराया जा रहा है या फिर यह मान लिया जाए कि ब्लॉक प्रमुख निधि से होने वाले कार्य कमीशन के भेंट चढ़ रहे हैं । ग्रामीणों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतना घटिया क्वालिटी का निर्माण कैसे कराया जाता है कहीं ना कहीं यह कमीशन खोरी का शिकार निर्माण हो रहा है। वहीं पर जिला अधिकारी के कार्य शैली से जनता खुश भी है लेकिन ठेकेदार के कार्य शैली से कहीं ना कहीं जनता को मायूसी नजर आती है। जनता का यह भी कहना है कि इन भ्रष्टाचारियों के बीच में रहकर जिलाधिकारी इतना सराहनीय कार्य कर रहे हैं ऐसे में इन भ्रष्टाचारियों से लड़ना जिला अधिकारी के लिए चुनौती बनता जा रहा है।
आखिर ऐसे भ्रष्ट ठेकेदारों के ऊपर कार्रवाई क्यों नहीं होती। यह जिम्मेदारी जिला अधिकारी के अलावा अधिकारी कर्मचारी अपने जिम्मेदारियां को बखूबी निभाएं तो शायद जिला अधिकारी को सहयोग मिलता नजर आएगा लेकिन ऐसा नहीं देखने को मिल रहा है। अंबेडकरनगर में कहीं ना कहीं जिला अधिकारी के मानसूबों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं। जिम्मेदार ब्लॉक प्रमुख भी अगर अपने कर्तव्य को ईमानदारी से सही से निभाएं तो शायद ऐसे ठेकेदारों के ऊपर कार्रवाई होना तय है लेकिन जो ग्रामीण सोच रहे हैं कहीं कमिशन के भेंट चढ़ रहे हैं निर्माण कार्य।
क्या जो जनता सोच रही है वही सही है आखिर क्यों नहीं निर्माण कार्य को अधिकारी जांच करते हैं।