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Monday, September 25, 2023

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात नें जारी किया मुस्लिम एजेंडा

-सरकार कों लेकर भी हुई चर्चा

बरेली, 10 सितंबर (देश दीपक गंगवार)। उर्से रिजवी के मौके पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी की अध्यक्षता में मुसलमानों के मुद्दों पर “मुस्लिम एजेंडा” जारी किया। जिसमें देशभर के समाजिक, धार्मिक और बुद्धिजीवियों नें बैठक की। देश के कई राज्यों से पहुंचे उलमा ने मुसलमानों के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।

इसको लेकर मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने प्रेस कॉफ्रेंस में मुस्लिम एजेंडा ज़ारी करते हुए मुसलमानों को हिदायत दी है। जिसमें शिक्षा, व्यापार और परिवार पर ध्यान देने, समाज में फैली बुराइयों पर रोकथाम करने, ट्रिपल-टी फॉर्मूला यानी तालीम, तिजारत और तरबियत को कामयाबी का अकेला रास्ता है। लड़कियों के लिए अलग से स्कूल और कॉलेज खोलने की भी अपील की। आगे कहा कि इस दौर में भारत की राजनीति बहुत खराब हो चुकी है। इसलिए राजनीति में बहुत ज्यादा हिस्सा न लेकर दूरी बनाएं अन्यथा भविष्य में बड़े नुकसान उठाने पड़ेंगे।

वहीं मौलाना ने केंद्र और राज्य सरकारों को कड़े शब्दों में कहा कि देश की एकता और अखंडता के लिए मुसलमान हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं, लेकिन हिंदू और मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने वाली राजनीति बर्दाश्त नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के साथ नाइंसाफी, ज़ुल्म और ज़ियादती को भी ज़्यादा दिन तक सहन नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सरकारों और राजनीतिक पार्टियों को इस पर गंभीरता से काम करना होगा और मुसलमानों के प्रति अपने आचरण में बदलाव लाना होगा। वहीं केंद्र की मोदी सरकार ने “सबका साथ, सबका विकास” और “सूफी विचारधारा” का नारा दिया था। लेकिन ये दोनों नारे खोखले साबित हो गए, न मुसलमानों को साथ लिया गया और न ही सूफी विचारधारा को बढ़ाने का काम किया। जबकि दूसरी तरफ केंद्र सरकार में रहते हुए कांग्रेस ने कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ाया और उत्तर प्रदेश में यही काम समाजवादी पार्टी ने किया।

वहीं प्रधानमंत्री के दावों की खुद ही उनके लोगों ने हवा निकाल दी है, क्योंकि उत्तराखंड की धामी सरकार ने दो दर्जन से ज्यादा सुफियों के मजारों का तोड़ा है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने सरकार और राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में ‘पैग़ंबर-ए-इस्लाम बिल” संसद में पास किया जाना चाहिए। जिससे कोई भी व्यक्ति पैगंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताखी न कर सके।

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