-तहसील जलालाबाद में कर्मचारियों के अभाव में नहीं मिल पा रहा है जनता को न्याय
शाहजहांपुर, 17 जनवरी (रामनिवास शर्मा मैथिल)। शाहजहांपुर जनपद की तहसील जलालाबाद इस समय तमाम सरकारी योजनाओं को धरातल पर पहुंचाने में नाकाम साबित हो रही है। इसका सबसे बड़ा कारण राजस्व विभाग के कर्मचारियों का आभाव है।
आपको बता दें कि जलालाबाद तहसील में 449 गांव हैं, जबकि लेखपालों के लिए करीब 80 राजस्व सर्किल निर्धारित किए गए हैं परन्तु 40 लेखपाल ही तैनात हैं। जिनमें से अधिकांश के पास दो या दो से अधिक राजस्व सर्किल गांवों का चार्ज दिया गया है। जिससे थाना समाधान दिवस तहसील समाधान दिवस में आई शिकायतों का निस्तारण समय से नहीं हो पाता है। या फिर केवल कागजों पर ही खाना पूर्ति करके इतिश्री कर ली जाती है।
इतनी बड़ी तहसील में कानूनगो के लिए 6 परगनो में बांटा गया है जिनमें अल्लाहगंज, ठिगरी, जलालाबाद खंडहर, बरुआ व दियुरा कानूनगो परगने हैं। परंतु जलालाबाद में मात्र एकमात्र कानूनगो अशोक मौर्य के सहारे ही पूरी तहसील का कार्य कराया जा रहा है।
अशोक मौर्य दिन भर समस्त लेखपालों के आख्या रिपोर्ट एवं अग्रसारित करने में ही समय बीत जाता है। जिससे तमाम जरूरी कार्य अधूरे रह जाते हैं। काम का बोझ इतना है कि रात 10:00 बजे तक काम करना पड़ता है और सुबह 4:00 बजे से ही काम स्टार्ट कर देना पड़ता। क्योंकि कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत जब तक लेखपाल के ऊपर के अधिकारी कानूनगो के हस्ताक्षर नहीं होंगे तब तक ऊपर के अधिकारी कोई कार्य पूर्ण नहीं कर सकते हैं।
यहां पर एक कानूनगो राकेश गुप्ता तैनात हैं, जिनको हार्ट अटैक पड़ चुका है वह स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। ऐसे में उन से काम की आशा करना ही बेकार है।जबकि कुछ दिन पूर्व तीसरे कानूनगो मसूद अली हृदय गति रुक जाने से मौत हो चुकी है। कानूनगो के 6 परगनो में से मात्र 3 की तैनाती थी परंतु आज एक कानूनगो के सारे तहसील की वैतरणी पार की जा रही है।
इसी प्रकार तहसील में तीन नायब तहसीलदार होना चाहिए परंतु मात्र एक पर ही तैनाती है जो पूरे तहसील में घूम फिर कर तमाम जांचों को कार्य करने में लगे रहते हैं। धीरेश सिंह नायब तहसीलदार जिनको भूमि के अवैध कब्जे हटवाने, अवैध मिट्टी खनन, कोटेदारों के भ्रष्टाचार, गला वितरण के अलावा राज्य के तमाम कार्यों की मानिटरिंग करनी होती है। परंतु अकेले होने के कारण समय से कोई भी कार्य नहीं हो पा रहा है।
इसी प्रकार तहसील में लेखपालों की भारी कमी है हर लेखकों के पास 2 से 3 लेखपाल सरकिल का बोझ है। ऐसे में किसानों में भूमि संबंधी विवादों को निपटाने में काफी समय लग जाता है। करीब 80 लेखपालों में से 40 की ही तैनाती है। जिनमें से भी आधा दर्जन का अध्यापक की नौकरी में चयन हो गया है। जिससे तहसील के पैमाइश संबंधी, जनगणना, मतगणना, घरौनी, खतौनी, विरासत, चक मार्गों के झगड़े, मेड तोड़ने के झगड़े आदि निपटाने में भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। तमाम पद खाली होने के बाद भी सरकार युवाओं को रोजगार देने का काम नहीं कर रही है। ऐसे में तहसील समाधान दिवस और थाना समाधान दिवस में आई शिकायतों का कोई मतलब नहीं रह जाता है।