जयपुर, (वेब वार्ता)। इस साल राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में तीनों ही राज्यों में जमकर चुनावी वादे और लोकलुभावन वादे किए जा रहे हैं। इसी क्रम में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार कर्ज में डूबे किसानों को राहत देने के लिए एक कानून लाने की योजना बना रही है। एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि राजस्थान सरकार कर्ज में डूबे किसानों को राहत देने के लिए एक कानून, ‘राजस्थान किसान ऋण राहत अधिनियम’ ला रही है। इस प्रस्तावित कानून के तहत एक ऋण राहत आयोग (Debt Relief Commission) का गठन किया जाएगा। इसकी अध्यक्षता उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे।
सहकारिता विभाग की प्रमुख सचिव श्रेया गुहा ने कहा कि छोटे/सीमांत किसानों, भूमिहीन मजदूरों और कमजोर वर्ग के किसानों को कर्ज से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऋण राहत अधिनियम (Rajasthan Farmers Debt Relief Act) से किसानों को बड़ा लाभ होगा। यह कानून किसानों को कर्ज के बोझ से राहत देने और उनकी जमीन की नीलामी को रोकने के लिए एक स्थायी समाधान के रूप में लाया जाएगा।
हाल ही में हुई बैठक में सहकारिता विभाग की प्रमुख सचिव श्रेया गुहा ने अधिकारियों को एक माह के भीतर राजस्थान किसान ऋण राहत अधिनियम तैयार करने का निर्देश दिया है। उन्होंने रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव को इस संबंध में तत्काल एक कमेटी गठित करने को कहा है। गुहा ने कहा कि राज्य के किसानों को 2023-24 में 22 हजार करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त फसली कर्ज वितरित किया जाना है। इसके लिए एपेक्स बैंक के प्रबंध निदेशक को कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा गया है।
श्रेया गुहा ने कहा कि गैर-कृषि क्षेत्र जैसे हस्तशिल्प, लघु उद्योग, कताई और बुनाई, पेंटिंग और छपाई और दुकानों में 1.50 लाख परिवारों को ग्रामीण क्षेत्रों में 3,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज वितरित किया जाएगा। अपेक्स बैंक के प्रबंध निदेशक को बैंकवार लक्ष्य निर्धारित कर के कार्ययोजना भेजने को भी कहा गया है। इसी कवायद के तहत सूबे की सभी 7282 कृषि समितियों (Primary Agricultural Credit Societies, PACS) का कम्प्यूटरीकरण किया जाना है। पहले चरण में 1963 पैक्स का चयन किया गया है।