जयपुर, (वेब वार्ता)। राजस्थान में कांग्रेस के 81 विधायकों के इस्तीफा देने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बीजेपी के बाद पायलट कैंप गहलोत पर हमलावर हो गया है। पायलट कैंप के विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस आलाकमान से जांच की मांग की है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत ने कहा- मैं नहीं जानता कि विधायकों पर इस्तीफे देने का किसका दबाव था, लेकिन अगर कोर्ट में हलमफनामा दिया गया है तो फिर यह जांच का विषय है। शेखावत ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान को इसकी जांच करनी चाहिए। शेखावत ने कहा कि एक भाजपा के सदस्य ने भी इसमें इस्तीफा दिया था। भाजपा इसमें राजनीतिक षड्यंत्र चाहती है।
दीपेंद्र सिंह बोले- सरकार गिर जाती
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत ने जयपुर में मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि इस्तीफों स्वीकार लिए जाते तो सरकार गिर सकती थी। उन्होंने कहा कि अब इस प्रकरण से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि यह मामला अब सेटल हो गया है। लेकिन अगर इस्तीफे स्वीकार हो जाते तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिर जाती। शेखावत ने कहा कि जो सदस्य विधानसभा में चुनकर आता है वो किसी दबाव में नहीं आता है वह अपने विवेक से काम करता है। नियमों में यहां तक प्रावधान है कि अगर दबाव, प्रलोभन हो तो कानून का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि हम लोगों पर कोई दबाव नहीं था और हम तो विधायक दल की बैठक में शामिल होने मुख्यमंत्री के आवास पर गए थे।
बीजेपी ने विधानसभा सचिव के जवाब को बनाया आधार
बता दें, बीजेपी ने इस्तीफों के लिए दबाव बनाने का आधार बनाकर कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ विधानसभा सचिव को विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। 25 सितंबर को स्पीकर के सामने पेश होकर बाकी विधायकों के इस्तीफे सौंपने वाले छह मंत्री-विधायकों पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है।उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सीएम के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव सौंपा है। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी ने और मंत्री महेश जोशी के खिलाफ रामलाल शर्मा ने विशेषाधिकार हनन को नोटिस दिया है।
बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी ने मंत्री रामलाल जाट, अनिता भदेल ने सरकारी उपमुख्य सचेतक महेन्द्र चौधरी और जोगेश्वर गर्ग ने कांग्रेस विधायक रफीक खान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन को नोटिस दिया है।बीजेपी ने इस नोटिस में विधानसभा सचिव के हाईकोर्ट में दिए जवाब को ही आधार बनाया है, जिसमें मर्जी से इस्तीफे नहीं देने का जिक्र है। बीजेपी का तर्क है कि स्पीकर के सामने पेश होने वाले छहों मंत्री विधायकों ने बाकी 75 विधायकों पर इस्तीफे देने के लिए दबाव बनाया जो एक विधायक के विशेषाधिकार का सीधा हनन है।