जयपुर। राजस्थान के पाली और जैसलमेर जिलों में दो अलग-अलग घटनाओं में खाप पंचायतों का तुगलकी फरमान सामने आया है। खाप पंचायतों ने अपनी जमीनें नहीं देने पर दो परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का फरमान जारी किया है। अब दोनों परिवारों ने पुलिस से गुहार लगाई है और खाप पंचायत सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने पाली में 7 और जैसलमेर में 11 लोगों समेत कुल 18 आरोपियों को नामजद किया है।
पुलिस में दाखिल की गई प्राथमिकी के अनुसार, जैसलमेर जिले के पोखरण शहर के निवासी भगवानराम माली ने आरोप लगाया है कि माली समाज के खाप पंचायत सदस्यों ने उनके परिवार का समाजिक बहिष्कार कर दिया है। खाप पंचायत के लोग उनके परिवार को अपनी जमीन छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब उनके परिवार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, तो खाप पंचायत सदस्यों ने पिछले साल 11 फरवरी को उनके परिवार के सामाजिक बहिष्कार का फरमान जारी कर दिया।
भगवानराम माली का कहना है कि खाप पंचायत सदस्यों ने जो फरमान सुनाया है उसके अनुसार समाज का कोई भी व्यक्ति उनके परिवार से कोई संपर्क नहीं रखेगा, ना ही उन्हें किसी सामाजिक कार्यक्रम में आमंत्रित करेगा ना ही परिवार के किसी कार्यक्रम में शामिल होगा। पुलिस को दी गई शिकायत में कहा गया है कि खाप पंचायत के आदेश के बाद समाज ने उनके परिवार का बहिष्कार कर दिया। इसकी वजह से बीते एक साल से उनके परिवार ने एक सम्मानजनक जीवन का अधिकार खो दिया है।
भगवानराम माली का कहना है कि इस साल 17 अप्रैल को भी खाप पंचायत सदस्यों ने बैठक बुलाई और परिवार को दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने और अपनी जमीन सौंपने के लिए दबाव बनाया। उन्होंने दोबारा ऐसा करने से मना किया तो खाप पंचों परिवार को शहर छोड़ने का फरमान जारी कर दिया। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि 18 अप्रैल को जब उसने पुलिस से संपर्क किया तो उन्होंने मामला भी दर्ज नहीं किया। बाद में उच्चाधिकारियों की हस्तक्षेप के बाद केस दर्ज कर लिया गया।
अब पुलिस ने आईपीसी की धारा-143 (गैरकानूनी सभा), 384 (जबरन वसूली) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। वहीं पाली के दूसरे पीड़ित ने आरोप लगाया कि पुलिस से संपर्क करने के बावजूद उसका परिवार अभी भी खाप पंचायत के उत्पीड़न का सामना कर रहा है क्योंकि पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। पीड़ित परिवार ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है और गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार दिए जाने की गुहार लगाई है।
बताया जाता है कि पाली की रहने वाली पीड़िता चंदा देवी ने कोतवाली थाने में शिकायत की है कि खाप पंचायत के कुछ लोग उस पर घर छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। पीड़िता ने पुलिस को बताया है कि वह अपने पति, बेटे और बेटी के साथ रह रही है। पति का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इस वजह से वह नौकरानी का काम कर के अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करती है। खाप पंचायत के कुछ लोग न्यायिक व्यवस्था की अनदेखी करते हुए अपनी अदालत चला रहे हैं। जब उसने घर छोड़ने से इनकार कर दिया तो पंचायत के लोगों ने उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का फरमान जारी कर दिया है।
पीड़िता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि खाप पंचायत के हुक्म के चलते समुदाय का कोई भी व्यक्ति उससे संपर्क नहीं रख रहा है। इतना ही नहीं उसके परिवार के लोगों को मंदिर में भी नहीं जाने दिया जा रहा है। स्थानीय व्यापारियों ने उसके परिवार को राशन देने से भी मना कर दिया है। उसने आरोप लगाया कि हाल ही में जब वह अपनी बहन के घर शादी समारोह में शामिल होने गई तो खाप पंचायत सदस्यों ने उससे दस हजार रुपये जुर्माना वसूला।
पीड़िता का यह भी कहना है कि उसकी बेटी की शादी अगले महीने तय हुई है, लेकिन खाप पंचायत सदस्यों ने धमकी दी है कि जब तक वह अपना घर नहीं छोड़ती, तब तक शादी नहीं होने देंगे। पीड़िता की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने आईपीसी की धारा-323 (चोट पहुंचाना), 504 (जानबूझकर अपमान करना), 384 (जबरन वसूली) और 143 (गैरकानूनी सभा) के तहत 7 लोगों पर मामला दर्ज किया है। कोतवाली थाना प्रभारी रवींद्र खींची ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की जांच की जा रही है।