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Thursday, September 28, 2023

चाय ने तोड़ा डॉक्टर बनने का सपना, हाई कोर्ट की शरण में जयपुर की छात्रा

जयपुर, (वेब वार्ता)। राजस्थान में नीट की परीक्षा दे रही एक छात्रा की ओएआर शीट पर परीक्षक की चाय का प्याला गिर गया था। इसके चलते छात्रा के कई प्रश्नों के जवाब मिट गए। जिसकी वजह से डाॅक्टर बनने का सपना टूट गया। लेकिन छात्रा ने हारी नहीं मानी। हाईकोर्ट की शरण ली है। अब कोर्ट से ही छात्रा को न्याय की उम्मीद है। अब जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खण्डपीठ ने मामलें को गंभीरता से लेते हुए एनटीए से दिशा की ऑरिजनल ओएमआर शीट सहित पूरा रिकोर्ड तलब कर लिया है। वहीं परीक्षा सेंटर से क्लासरूम के सीसीटीवी फुटेज के साथ स्कूल प्रिंसिपल को 4 जुलाई को कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिए है। दिशा जयपुर जिले के छोटे से कस्बे बस्सी मे रहती है। दिशा ने 12वीं कक्षा में भी पूरा स्कूल टॉप किया था। लेकिन जो उसके साथ जो हुआ, वो गलत था।

परीक्षा वाले दिन कुछ ऐसा घटा जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी

जयपुर के रामनगरिया स्थिति विवेक टैक्नो स्कूल में दिशा का सेंटर आय़ा। दोपहर 2 बजे से पेपर था। एक घंटे पहले दिशा परीक्षा सेंटर में थी। पेपर मिलते ही दिशा की उम्मीदें ओर बढ़ गई। पेपर उसे आता था, उसने तेजी से पेपर करना शुरू किया। दिशा अपना पेपर हल कर रही थी। करीब डेढ़ घंटा बीत चुका था। अचानक हाथ पर कुछ गिरने से दिशा चौकती है। कुछ समझ पाती उससे पहले ही उसके डॉक्टर बनने के सपने पर एक चाय का कप पानी फेरते हुए नज़र आता है। दरअसल हुआ यूं था कि दिशा के रूम में इनविजिलेटर चाय पीते हुए निरीक्षण कर रहे थे। जैसे ही वो दिशा के पास पहुंचते है। उनके हाथ से वो चाय का कप छूट जाता है। दिशा के हाथ, ओएमआर शीट, पेपर, टेबल पर चाय गिर जाती है। दिशा का कॉस्ट्रेशन अचानक भंग होता है। उसे समझ नहीं आता कि वो अब क्या करें। घटना होते ही इनविजिलेटर रूम से बाहर चले जाते हैं।

मास्क से सुखाई ओमआर शीट

घटना के बाद दिशा पूरी तरह से ब्लाइंड हो जाती है। उसे कुछ समझ नहीं आता है कि वो क्या करें। परीक्षा के कड़े नियमों के तहत उसके पास मास्क के सिवाए कुछ ओर नहीं था। दिशा ओएमआर शीट से चाय हटाती है और मास्क से धीरे-धीरे ओएमआर शीट पर गिरी चाय को साफ करती है। लेकिन तब तक उसकी ओएमआर शीट लगभग खराब हो चुकी होती है। ओएमआर शीट पर चाय का दाग लग जाता है।

नहीं मिलता है एक्स्ट्रा टाइम

कुछ देर बाद इनविजिलेटर हाथ में कपड़ा लेकर रूम मे लौटते है। दिशा उनसे कहती है कि वो अब क्या करें, ओएमआर शीट तो खराब हो चुकी है। ये तो अब चैक ही नहीं होगी। इनविजिलेटर ओएमआर शीट को देखता है और कहता है कि ज्यादा कुछ नहीं हुआ है। तुम अपना पेपर करों, दिशा कहती है कि मेरा टाइम खराब हो गया। तो उसे कहा जाता है कि तुम्हें एक्स्ट्रा टाइम दे दिया जाएगा। दिशा जैसे तैसे अपने पेपर करती है। लेकिन अब वो पहले जैसे कॉस्ट्रेशन नहीं कर पाती है। इतने में टाइम पूरा हो जाता है। दिशा का कैमेस्ट्री का 33 प्रतिशत पेपर छूट जाता है। लास्ट में वो इनविजिलेटर से कहती है कि उसे 5 मिनट एक्स्ट्रा दें दे। जिससे वो अपने सवाल पूरे कर सके। लेकिन इनविजिलटेर उससे ओएमआर शीट छीन लेता है। दिशा समझ में आने लगता है कि उसका डॉक्टर बनने का सपना उसके हाथ से निकल रहा है। क्योंकि जहां एक-एक नम्बर की लड़ाई है। दिशा के 17 सवाल जो उसे आते है, वो नहीं कर पाती है।

आधे घंटे रोका जाता है ऑफिस में

पेपर खत्म होने के बाद दिशा अपने रूम से निकलते ही प्रिंसिपल के पास जाती है, उन्हें सारी बात बताती है। प्रिंसिपल उसे अपने रूम में बैठने को कहती है। वहां उसकी कोई सुनवाई नहीं होती है। करीब आधे घंटे बाद उसे बाहर जाने दिया जाता है। जिससे सारे स्टूडेंट्स और पेरेंट्स वहां से चले जाए। वहीं मामला ज्यादा नहीं बढ़े। दिशा को नीट के पहले अटेंम्पट में मुझे 470 नम्बर मिले। केवल कुछ नम्बर से मैं MBBS की सीट से चूक गई। मुझे वेटेनरी, बीडीएस, बीएससी नर्सिंग मिल रहा था। परिवार वालों ने खूब समझाया। जो मिल रहा है उसमें एडमिश्न ले लो। बाद में पता नहीं क्या हो। लेकिन मुझे MBBS से कम कुछ भी मंजूर नहीं था। पिछले साल मैने जयपुर में रहकर कोचिंग ली। इस बार नीट का दूसरा अटेम्पट दिया। लेकिन एग्जामिनेशन सेंटर पर जो कुछ मेरे साथ हुआ। उसने मुझे और मेरे सपने को तोड़कर रख दिया।

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