जयपुर, (वेब वार्ता)। राजस्थान में चुनाव से पहले बीजेपी ने बड़ा फेरबदल किया है। बीजेपी ने पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया था। अब अचानक सतीश पूनिया को बीजेपी अध्यक्ष पद से हटा दिया है। दोनों ही नेता मुख्यमंत्री चेहरे के दावेदार माने जाते थे। लेकिन पार्टी ने सतीश पूनिया को जिस तरह से हटाया है, उससे सियासी जानकर हैरान है। पूनिया लगातार गहलोत सरकार को निशाने पर ले रहे थे। इसके बावजूद उन्हें पद से हटा दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूनिया के निर्णय से साफ जाहिर होता है कि पार्टी में आगामी दिनों में बड़े निर्णय लिए जा सकते हैं। जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर रार जारी है। कटारिया और पूनिया के जाने के बाद किरोड़ीलाल भी सीएम फेस की रेस में शामिल हो गए है।
सत्ता पाने के लिए कठोर निर्णय
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पार्टी सत्ता पाने के लिए कठोर निर्णय ले रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि पूर्वी राजस्थान को साधने के लिए किरोड़ी लाल मीना पर भी दांव खेला जा सकता है। विधानसभा चुनाव 2018 में पूर्वी राजस्थान में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी किरोड़ी के जरिए वापसी कर सकती है। बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल लगातार गहलोत सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं। रीट पेपर लीक मामला हो या फिर वीरांगनाओं का मुद्दा। गहलोत सरकार निशाने पर रही है। पार्टी में मुख्यमंत्री के चेहरे के लेकर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे प्रमुख दावेदार मानी जाती है। कटारिया और पूनिया भी दावेदार माने जाते थे। लेकिन चुनाव से पहले दोनों ही नेता मुख्यधारा से हटा दिए गए है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ-साथ किरोड़ी लाल सीएम रेस में शामिल हो गए है।
ब्राह्मणों को साधने की कवायद
राजस्थान में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया हटा दिए गए है। पूनिया की जगह बीजेपी सांसद सीपी जोशी को राजस्थान की कमान सौंपी है। बीजेपी की इस कवायद को बाह्मणों तो साधने के तौर पद देखा जा रहा है। इससे पहले बीजेपी ने घनश्याम तिवाड़ी को राज्यसभा बनाकर दांव खेला था। लेकिन पार्टी के इस निर्णय से जाट नाराज हो सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव से पहले पार्टी को जाटों की नाराजगी भारी पड़ सकती है। पूनिया जाट समुदाय से आते है। ऐसे में जाटों की नाराजगी भारी पड़ सकती है। बता दें राजस्थान में ओबीसी समुदाय का बड़ा वोट बैंक है। राज्य में ओबीसी कैटेगरी में लगभग 91 जातियां आती हैं जो राज्य के कुल मतदाताओं का लगभग 52 प्रतिशत वोट बैंक बनाती हैं। सतीश पूनिया स्वयं ओबीसी जाट समुदाय से आते हैं। राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि उन्हें हटाने से ओबीसी समुदाय के बीच एक नकारात्मक संदेश जा सकता है। जिसका खतरा पार्टी को चुनावी साल में उठाना पड़ सकता है।