-जमकर हुआ हो हल्ला हंगामा, बेरंग लौटे सीसीएल और मुफ्फसिल के अधिकारी
गिरिडीह, 26 नवंबर (राजेश कुमार)। महेशलुण्डी पंचायत के कैलीबाद गांव में पवन मंडल के गृह निर्माण कार्य को सीसीएल प्रबंधन ध्वस्त करने पहुंची। लेकिन येन मौके पर पंचायत के मुखिया शिवनाथ साव और ग्रामीण वहां पहुंच सीसीएल प्रबंधन के इस कार्य को रोक दिया। घटना शनिवार दोपहर बाद करीब 3:30 बजे की है।
घटना के बावत मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को सीसीएल प्रबंधन व मुफस्सिल प्रशासन पवन मंडल के निर्माणधीन घर को ध्वस्त करने कैलीबाद पहुंची। मकान ध्वस्त करने जेसीबी भी लाया गया था। लेकिन ज्योंहि पंचायत के मुखिया शिवनाथ साव समेत गांव के लोगों को इसकी जानकारी हुई। मुखिया समेत काफी संख्या में स्थानीय ग्रामीण वहां पहुंचकर हो-हंगामा करने लगे।
ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहां बसाया है गांव : मुखिया
मौके पर मुखिया शिवनाथ साव ने वहां पहुंचे सीसीएल और प्रशासनिक अधिकारियों से बात करते हुए कहा कि यह सरासर गलत है। सीसीएल प्रबंधन की और से महेशलुण्डी पंचायत को टारगेट कर यहां के गरीब ग्रामीणों को परेशान किया जा रहा है। कहा कि पूरे महेशलुण्डी पंचायत को ईस्ट इंडिया कंपनी के समय से बसाया गया है। जिसके लिए सीसीएल द्वारा खपड़ा, रोला आदि सामग्रियों को देकर उनका घर बनवाया था। ताकि लोग यहां गांव बसा सकें।
मुखिया ने कहा कि यहां के लोग अतिक्रमण कारी नहीं है। इन्हीं लोगों के पूर्वजों के जमीनों पर आज सीसीएल माइनिंग कर रही है। बहुत ही लोग ऐसे भी हैं जिन्हें आज तक सीसीएल की ओर से कोई भी मुआवजा नहीं दिया गया है। कहा कि जिस व्यक्ति की जमीन पर प्रबंधन बुलडोजर चलाने आई थी वहां पहले से ही मिट्टी का घर बना हुआ था जिसे तोड़कर पक्का घर बनाया जा रहा था।
सीसीएल प्रबंधन यदि उजाड़ा नहीं छोड़ा तो होगा उग्र आंदोलन : ग्रामीण
स्थानीय ग्रामीणों की माने तो पूरा महेशलुण्डी पंचायत सीसीएल भूमि पर ही बसा है। यदि सीसीएल प्रबंधन हम लोगों को यहां से हटाना चाहती है तो पहले हमारे वोटर कार्ड, आधार कार्ड और सभी तरह की सरकारी सुविधाओं को बंद करें। कहा कि कानून सबों के लिए बराबर होनी चाहिए। जब सीसीएल की जमीन पर सरकारी भवन बन सकती है तो फिर हमारे आवास क्यों नहीं।
कहा कि एक और सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास को सीसीएल भूमि में बनाने का निर्देश दिया जाता है तो दूसरी ओर सीसीएल की ओर से उसे तोड़ने का आदेश? यह कैसा नियम है। एक और सरकार भूमिहीन व्यक्तियों को भूमि देकर उसे बसाने का वायदा करती है। वहीं दुसरी ओर सीसीएल हमें उजाड़ने में लगी हुई है। यदि अपने इस कार्यशैली को सीसीएल नहीं सुधरेगी तो हम भविष्य में उग्र आंदोलन को मजबूर होंगे।