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Sunday, October 1, 2023

बदरीनाथ-केदारनाथ, गंगोत्री चार धाम पर पौराणिक पैदल रास्तों से यात्रा, यह रहेगा खास

देहरादून, (वेब वार्ता): उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2023 का शुभारंभ होने के साथ ही देश के कई राज्यों से तीर्थ यात्री उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। केदरानाथ-बदरीनाथ,गंगोत्री सहित चारों धामों में तीर्थ यात्रियों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। यूपी, एमपी, दिल्ली-एनसीआर सहित अन्य राज्यों से उत्तराखंड चार धाम यात्रा पर जाने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए अच्छी खबर सामने आई है।

चार धाम यात्रा के पौराणिक मार्ग को फिर से बहाल करने की मुहिम का आगाज हो गया। पहले दिन 29 विदेशी यात्रियों समेत कुल 130 यात्री पौराणिक पथ से चारधाम रवाना हुए। पौड़ी के डीएम डॉ. आशीष चौहान और यमकेश्वर के एसडीएम भी यात्रियों के जत्थे के साथ रवाना हुए।

आपको बता दें कि गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट 22 अप्रैल को खुले थे। केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल दर्शनार्थ खोले गए थे। चार धाम यात्रा के पौराणिक स्वरूप को बहाल करने की पहल के तहत पौड़ी जिला प्रशासन ने गंगा पथ यात्रा का शुभारंभ किया गया।

इस दौरान परमार्थ निकेतन आश्रम में डीएम चौहान ने तीर्थयात्रियों और ऋषिकुमारों के साथ यज्ञ किया। इसके बाद उन्होंने हरी झंडी दिखाकर यात्रियों को गंगा पथ पर रवाना किया। इस मौके पर स्वामी चिदानंद मुनि भी शामिल हुए।  डीएम चौहान ने बताया कि गंगा पथ यात्रा का रूट स्वर्गाश्रम से नौदखाल तक सड़क मार्ग से है।

जबकि, इसके आगे करीब 20 किलोमीटर सिमालू तक गंगा किनारे पैदल रास्ता है। भविष्य में यात्री देवप्रयाग तक इस रूट की ओर आकर्षित होंगे। स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि जड़ों, मूल्य और मूल से जुड़ने का समय आ गया है। यह जीवन और प्रकृति की यात्रा है। उन्होंने आशा जताई कि यह यात्रा विश्व में प्रसिद्ध होगी।

इस यात्रा में 130 यात्री शामिल हुए। इनमें 29 विदेश नागरिकों के अलावा बच्चे भी शामिल हैं। पैदल यात्रियों का यह दल शाम को देवप्रयाग पहुंचा। इसके बाद दुनियाभर के लोग भी देवभूमि की पवित्रता और सुंदरता का अनुभव कर सकेंगे। वहीं, इस यात्रा में सिर्फ देसी ही नहीं, बल्कि विदेशी लोग भी शामिल हुए।

वीरान चटि्टयां आबाद होने की उम्मीद
गंगा पथ यात्रा की शुरुआत से चारधाम यात्रा के पैदल मार्ग पर स्थित चट्िटयों के फिर से आबाद होने की उम्मीद है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि ऑलवेदर जैसे सुविधा वाले मार्ग के कारण यह मुहिम कितनी सफल होगी। इतिहासकार वंशीधर पोखरियाल के मुताबिक पुराने समय में तीर्थयात्री पैदल ही चारधाम की यात्रा करते थे, जिसकी शुरुआत स्वर्गाश्रम जौंक के पास मोहन चट्टी से होती थी। चढ़ाई वाले यात्रा मार्ग पर यात्री बड़े कस्बों और पड़ावों पर विश्राम करते थे। इन्हीं पड़ावों को चट्टी कहा जाता है।

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