अहमदाबाद, (वेब वार्ता)। राज्य के बोटाद जिले में पवनपुत्र हनुमान के अपमान का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। श्री कष्टभंजनदेव हनुमान जी मंदिर में स्थित किंग ऑफ सालंगपुर ( बजरंग बली की मूर्ति) के नीचे कुछ तस्वीरें में उन्हें सहजानंद स्वामी के आगे झुकते हुए दिखाया गया था। इसके बाद शुरू हुए विवाद में अब 54 फीट ऊंची मूर्ति आ गई है।
आरोप है कि हनुामन की इस विशाल मूर्ति में उनके माथे पर राम तिलक की जगह पर स्वामीनारायण संप्रदाय के इस्तेमाल किए जाने तिलक को लगाया है। इतना ही नहीं श्री कष्टभंजनदेव हनुमान जी मंदिर के कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्वामीनारायण संप्रदाय के एक मंदिर में हनुमान जी को स्वामीनारायण के नीलकंठ स्वरूप को फल अर्पित करते हुए दर्शाया गया है। इस पूरे विवाद पर राजकोट और भावनगर जिलों के पुलिस को दो शिकायतें दी गई हैं। तो वहीं दूसरी तरफ इस पूरे मामले पर मशहूर रामकथाकार मोरारी बापू ने अफसोस व्यक्त किया है।
मोरारी बापू बोले, ये हीन धर्म है
मोरारी बापू ने कहा कि अपने को श्रेष्ठ दिखाने के लिए हनुमान जी के अपमान को हीन धर्म करार दिया है। उन्होंने कहा कि समाज को जागृत होने की जरूरत है। मोरारी बापू ने कहा कि कपट और फरेब चल रहा है। मोरारी बापू ने कहा पहले भी मैं बोला था, तब मेरे साथ कोई नहीं बोला था। हनुमान को सहजानंद स्वामी के तौर पर दर्शाने पर अभी तक श्री कष्टभंजनदेव हनुनमाजी मंदिर की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इस मंदिर की प्रबंधन को स्वामीनारायण संप्रदाय के वडताल ग्रुप के पास है। मंदिर परिसर में इसी साल अप्रैल में मूर्ति का अनावरण किया गया था। केंद्रीय गृह अमित शाह के हाथों मूर्ति का अनावरण हुआ था, लेकिन रक्षाबंधन से पहले यह विवाद समाने आया है। सोशल मीडिया पर हनुमान को दास और भक्त बनाने विवाद हो रहा था। इसमें अब ‘तिलक कांड’ भी जुड़ गया है।
विवाद में दो और कारण सामने आए
1. सालंगपुर मंदिर में नुमानजी को सहजानंद स्वामी के सेवक के रूप में दर्शाया गया है। ये पेंटिंग्स ‘किंग ऑफ सालंगपुर’ के नाम से मशहूर हनुमानजी की मूर्ति के नीचे उकेरी गई हैं। इन पेंटिंग्स की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों में हनुमानजी को सहजानंद स्वामी के सामने हाथ जोड़कर नमस्कार मुद्रा में खड़े दिखाया गया है।
2. सालंगपुर मंदिर से कुछ दूरी पर एक और मंदिर में हनुमान जी को स्वामीनारायण संप्रदाय के स्वामी के समक्ष फल देते हुए दर्शाया गया है। यह विवाद का दूसरा कारण है।
3. किंग ऑफ सालंगपुर की मूर्ति की नीचें पेटिंग में दास दिखाने पर विवाद है तो इस मूर्ति में हनुमान जी के माथे पर राम तिलक की बजाए स्वामी नारायण संप्रदाय में लगाया जाने वाला तिलक इस्तेमाल किया गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी को 7 चिरंजीवियों में भी शामिल किया गया है। हनुमानजी को भगवान शंकर का अवतार भी माना जाता है। साथ ही वह भगवान राम के अनन्य भक्त भी हैं। दूसरी ओर सहजानंद स्वामी का जन्म 1781 में हुआ था और उनकी मृत्यु 1830 में हुई थी। स्वामीनारायण संप्रदाय की स्थापना सहजानंद स्वामी ने की थी, जिन्हें स्वामीनारायण भगवान के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि कुछ सालों के बाद संप्रदाय में दरार आ गई और BAPS, वडताल, सोखड़ा जैसे संगठन अस्तित्व में आए। फिलहाल जो विवाद में है। वह स्वामीनारायण संप्रदाय की वड़ताल संस्था है। इसके प्रमुख संत नौतम स्वामी हैं।