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Thursday, June 1, 2023

Modi Surname Case: राहुल गांधी को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत, मानहानि केस में 5 जून तक टला फैसला

अहमदाबाद, (वेब वार्ता)। मोदी सरनेम मानहानि केस (Modi Surname Case) में राहुल गांधी की अपील गुजरात हाईकोर्ट छुटि्टयों के बाद फैसला सुनाएगी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अपील पर जस्टिस हेमंत एम प्राच्छक की कोई में सुनवाई हुई। इस दौरान राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने एक अंतरिम आर्डर पास करने की मांग की। इस पर जस्टिस प्राच्छक ने कहा कि मैं छुट्टियों के दौरान आदेश पारित करूंगा और छुट्टियों के बाद इसका उच्चारण करूंगा।
सिंघवी ने किहा कि मैं विनती करता हूं, कृपया आज कुछ निर्णय लें। इस पर जस्टिस ने कहा कि कोर्ट छुटि्टयों के बाद ही फैसला सुनाएगी। जस्टिस ने कहा, मैंने खुद को स्पष्ट कर दिया है। मैं अवकाश के समय का उपयोग आदेश पारित करने के लिए करूंगा। ऐसे में लंबी सुनवाई के बाद राहुल गांधी की अपील पर अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। गुजरात हाईकोर्ट छुटि्टयों के बाद पांच जून को खुलेगी।

तीन जून को तय होगी तारीख
गुजरात हाईकोर्ट में 5 मई आखिरी वर्किंग डे है। इसके बाद कोर्ट एक महीने की छुट्टि्यों के चलते बंद रहेगा। कोर्ट फिर से पांच जून को खुलेगी। ऐसे में मानहानि केस में अब फैसला एक महीने बाद आएगा। जस्टिस हेमंत एम प्राच्छक के अनुसार वह छुटि्टयों में ऑर्डर को तैयार करेंगे और फिर कोर्ट के खुलने पर इसको सुनाएंगे। ऐसे में वे पांच जून के बाद अगले कुछ दिनों में फैसला सुना सकते हैं। कोर्ट किस दिन फैसला सुनाएगी? इसका फैसला तीन जून को होगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हाईकोर्ट के फैसले के लिए कम से कम एक महीने तीन दिन यानी 34 का इंतजार करना पड़ेगा।

इससे पहले हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान माफी तीखी बहस हुई। राहुल गांधी पर मानहानि का केस करने वाले बीजेपी के विधायक पूर्णेश मोदी की तरफ से राहत देने का विरोध किया गया। उनके वकील निरुपम नानावटी ने राहुल गांधी के आचरण पर सवाल खडे़े किए और कहा वे दोषी करार दिए जाने के बाद अपमाजनक बयान दे रहे हैं। सूरत कोर्ट के फैसले के बाद भी उनके खिलाफ मानहानि के केस हो रहे हैं। पब्लिक के बीच में वे कहते हैं कि मैं गांधी हूं, सावरकर नहीं। जो मैं माफी मांगू। ऐसे में उनका आचरण को देखा जाना चाहिए।
राहुल गांधी लोकसभा की अपनी सदस्यता गंवा चुके हैं। हाई कोर्ट के फैसला सुरक्षित रख लेने पर फिलहाल की उसकी सदस्यता बहाल होने की संभावना नहीं दिख रही है। अगर इस बीच में खाली पड़ी लोकसभा सीट पर चुनाव आयोग ने उप चुनाव की घोषणा कर दी तो राहुल गांधी की मुश्किलें और बढ़ सकती है। वे चुनाव लड़ नहीं पाएंगे और कोर्ट चुनाव आयोग की प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर पाएगा। आमतौर पर अगर कोई तीन महीने तक खाली रहती है तो फिर वहां चुनाव करवाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। कुछ मामलों में आयोग छह महीने तक भी सीट खाली रहने देता है।

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