मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में आठ अक्टूबर एक बड़े घटनाक्रम वाला दिन रहा। चुनाव आयोग ने बाला साहब ठाकरे की पार्टी शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष-बाण को फ्रीज कर दिया। इसका सीधा सा मतलब यह है कि इस निशान का फिलहाल किसी तरह के चुनावों में प्रयोग नहीं किया जा सकेगा। उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री और शिवसेना के करीबी रहे एकनाथ शिंदे विधायकों के साथ मिलकर पार्टी से बगावत कर बीजेपी के साथ सरकार बना ली और खुद को असली शिवसेना बता रहे। उन्होंने पार्टी के चुनाव चिन्ह पर दावा किया। उसी मामले में चुनाव आयोग ने ये फैसला सुनाया। अब खबर आ रही है कि उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पार्टी का नाम शिवसेना बालासाहेब ठाकरे देने की मांग की है।
शनिवार को आयोग के फैसले पर उद्धव गुट ने नाराजगी जताई थी। जबिक शिंदे गुट फैसले को लेकर खुश था। खबरों की मानें तो आज उद्धव ठाकरे ने इसे लेकर एक बैठक भी बुलाई है। महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अम्बादास दानवे ने कहा कि निर्वाचन आयोग को उपचुनाव के लिए अंतरिम आदेश जारी करने के स्थान पर समेकित फैसला लेना चाहिए था। उन्होंने फैसले को लेकर कहा कि यह तो अन्याय है।
चुनाव आयोग (ईसी) का यह फैसला आगामी अंधेरी पूर्व उपचुनाव को लेकर आया है। जिसमें शिंदे या उद्धव गुट दोनों में से कोई भी पार्टी के नाम या चुनाव चिन्ह का उपयोग नहीं कर सकेगा।
उपचुनाव के लिए मिलेंगे दोनों को अलग सिंबल
पार्टी के भीतर चल रहे गुटबाजी पर एक अंतरिम आदेश में, चुनाव आयोग ने कहा, ‘दोनों गुटों को ऐसे अलग-अलग प्रतीक भी आवंटित किए जाएंगे। वे वर्तमान उपचुनावों के लिए चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचित मुक्त प्रतीकों की सूची में से इन चिन्हों को चुन सकते हैं। तदनुसार, दोनों समूहों को 10 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे तक विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है।’