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Sunday, October 1, 2023

‘मैं सावरकर, मैं भी सावरकर…’ शिंदे-फडणवीस का ख़ास ‘प्लान’, उद्धव-कांग्रेस को घेरने की ख़ास तैयारी शुरू

नई दिल्ली/मुंबई. जहां एक तरफ महाराष्ट्र (Maharashtra) में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा दिए गए सावरकर मुद्दे (Sawarkar Politics) पर बयानबाजी से राजनीतिक भूचाल आ गया है। वहीं अब इस राजनीतिक  तपिश को लेकर एकनाथ शिंदे की शिवसेना और देवेंद्र फडणवीस की BJP ने ऐसी प्लानिंग सजाई है कि अब उद्धव ठाकरे के लिए आगे कुआं, पीछे खाई साबित हो रही है।  हालांकि वहीं शरद पवार ने बीच में राहुल गांधी को सावरकर मुद्दे पर बयानबाजी से बचने की सलाह दे दी थी। लेकिन अब देर हो चुकी है।

CM शिंदे की बड़ी घोषणा  

दरअसल अब राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यह घोषणा कर चुके हैं कि उनकी शिवसेना और BJP मिलकर महाराष्ट्र में जिले-जिले में ‘सावरकर गौरव यात्रा’ निकालने जा रहे हैं। वहीं अब सावरकर के मुद्दे को लेकर विपक्ष को घेरने की इस आक्रामक मुहिम की शुरुआत खुद CM शिंदे ने अपने प्रोफाइल पिक्चर को बदल कर कर दी है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से अपने प्रोफाइल पिक्चर में वीडी सावरकर का चित्र डाल कर लिखा- ‘मी सावरकर’ यानी ‘मैं सावरकर’ और इस बाबत ट्वीट भी किया।

‘मी सावरकर’, ‘मी पण सावरकर’ के साथ घेरने का प्रयास

इसकेसाथ ही बीते मंगलवार को देवेंद्र फडणवीस ने भी अपना प्रोफाइल बदल कर लिखा ‘मी सावरकर। ’ इसके बाद महाराष्ट्र भर में शिवसेना और BJP के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने नाम के साथ ‘मी सावरकर’…’मी पण सावरकर’… और ‘आम्ही पण सावरकर’ (मैं सावरकर, मैं भी सावरकर और ‘हम भी सावरकर’ लिखने की शुरुआत कर दी है।  ऐसे में अब साफ़ है कि, शिंदे-फडणवीस इस मुद्दे को बहुत आगे तक ले जाने का मन बना चुके हैं।  वहीं उद्धव ठाकरे के लिए अब मुश्किलें खड़ी हो चुकी हैं।

उद्धव के लिए खड़ीं हुई मुश्किल  

दरअसल अब अगर उद्धव महाविकास आघाड़ी में बने रहते हैं तो सवाल पार्टी के मूल विचारधारा के खोने का आ रहा है। दरअसल सावरकर के विचार और बालासाहेब ठाकरे के विचार किसी एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। बाकी तो उद्धव खुद ही कह चुके हैं कि उनका हिंदुत्व RSS और BJP से अलग है।  यानी उनका हिंदुत्व सावरकर वाला हिंदुत्व ही है।

संजय राउत की फील्डिंग भी नाकाम  

वहीं ठाकरे के सखा और संकटमोचक संजय राउत ने हालांकि खुद मंगलवार को कहा था कि BJP को सावरकर से क्या लेना-देना? RSS तो खुद सावरकर को दुश्मन मानती थी।  संघ ने सावरकर के साथ अच्छा नहीं किया था। सावरकर को आदर्श मानने वाले कोई और नहीं, बालासाहेब ठाकरे थे।  BJP का सावरकर प्रेम ढोंग है।

इस पर खुद वीडी सावरकर के नाती रणजीत सावरकर ने संजय राउत पर तंज किया कि, वे आखिर कौन होते हैं शिंदे गुट या BJP को सावरकर गौरव यात्रा से मना करने वाले? वहीं अगर उद्धव ठाकरे को सावरकर से इतना ही प्रेम है तो वे राहुल गांधी पर जाकर खुद दबाव बनाएं कि वे सावरकर पर दिए गए अपने बयान को लेकर तुरंत माफी मांगें। ऐसे में उद्धव के सामने आज सवाल ही सवाल है, जवाब नहीं है। इसीलिए आज उनके आगे कुआं है और पीछे खाई।

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