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Thursday, September 28, 2023

चंडीगढ़ में अपना हिस्सा मांगेगी हिमाचल सरकार… CM सुक्खू का बड़ा फैसला, गठित की कैबिनेट सब कमेटी

शिमला, (वेब वार्ता)। चंडीगढ़ में हिमाचल की हिस्सेदारी लेने को लेकर कई बार कोशिश की गई और कई दावे भी किए जा चुके हैं। लेकिन यह हिस्सा हिमाचल को कैसे मिलेगा इस बारे में कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। चंडीगढ़ की जमीन से अपना हिस्सा लेने को लेकर उन्होंने एक कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया है। चंडीगढ़ की जमीन पर हिमाचल की 7.19 फीसदी हिस्सेदारी है। लेकिन अभी तक यह हक हिमाचल को नहीं मिल पाया है। इसी के चलते मुख्यमंत्री ने एक सब कमेटी का गठन किया है जिसकी अध्यक्षता कृषि मंत्री चंद्र कुमार करेंगे।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी को इस सब कमेटी का सदस्य बनाया गया है। यह सब कमेटी प्रदेश सरकार को रिपोर्ट सौंप कर बताएगी कि पंजाब पुनर्गठन एक्ट के मुताबिक हिमाचल को चंडीगढ़ उसकी हिस्सेदारी कैसे मिल पाएगी?हिमाचल प्रदेश सरकार बीबीएमबी के पावर प्रोजेक्ट से भी रॉयल्टी लेने को लेकर पूरे प्रयास कर रही है। हिमाचल प्रदेश में जितने भी हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाए गए हैं उससे हिमाचल को रॉयल्टी मिलती है। लेकिन बीबीएमबी प्रोजेक्ट जब हिमाचल में स्थापित किया गया था उस दौरान रॉयल्टी देने का कोई प्रावधान नहीं था। लेकिन अब प्रदेश सरकार बीबीएमबी से रॉयल्टी लेने की मांग कर रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू चंडीगढ़ में बीबीएमबी के अधिकारियों से बैठक कर चुके हैं। जहां पर यह बात रखी गई है कि हिमाचल को रॉयल्टी दी जाए या फिर बिजली के रूप में शेयर को बढ़ाया जाए। क्योंकि बीबीएमबी प्रोजेक्ट से अब काफी आय हो रही है।

कृषि मंत्री चंद्र कुमार की अध्यक्षता में बनाई गई सब कमेटी यह रिपोर्ट भी तैयार करेगी कि किस तरह से बीबीएमबी प्रोजेक्ट से रॉयल्टी ली जा सकती है या फिर बिजली के रूप में शेयर को बढ़ाने को लेकर क्या सुझाव हो सकते हैं उस पर विचार करेगी। बीबीएमबी की तरफ से हिमाचल प्रदेश में तीन प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं जिसमें 1478 मेगावॉट का भाखड़ा बांध प्रोजेक्ट, 990 मेगावाट का ब्यास सतलुज प्रोजेक्ट और 396 मेगावाट का पोंग बांध प्रोजेक्ट शामिल है। इन प्रोजेक्ट से हिमाचल से मुफ्त में बिजली जनरेट की जा रही है और हिमाचल को किसी भी तरह की रॉयल्टी प्राप्त नहीं हो रही है। बीबीएमबी की तरफ से संचालित इन प्रोजेक्ट से अगर हिमाचल को रॉयल्टी मिलना शुरू हो जाती है तो इससे प्रदेश को आय का बहुत बड़ा हिस्सा प्राप्त होगा।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस बात को पूरी तरह से स्पष्ट कर चुके हैं कि हिमाचल प्रदेश में बहता हुआ पानी सोने की तरह है। हिमाचल प्रदेश सरकार इससे आय प्राप्त करने को लेकर जो बन सकेगा वह करेगी। लेकिन हिमाचल प्रदेश के इन कड़े फैसलों से कहीं ना कहीं पंजाब सरकार के साथ तनातनी बढ़ रही है। हिमाचल प्रदेश में चल रहे शानन प्रोजेक्ट पर पंजाब की लीज का समय 2024 में खत्म हो रहा है उसके बाद शानन प्रोजेक्ट पर पूरी तरह से हिमाचल सरकार का कंट्रोल होगा। यह प्रोजेक्ट पंजाब के पास रहे इसको लेकर पंजाब सरकार केंद्र सरकार से आग्रह कर चुकी है।

यही नहीं पंजाब विद्युत बोर्ड की ओर से इस प्रोजेक्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के लिए 200 करोड़ तक का बजट भेजा गया था। साथ ही पंजाब सरकार ने बीबीएमबी से हिमाचल को पानी देने की एनओसी ना हटाने को लेकर भी केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी थी। लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कई बार केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर हिमाचल प्रदेश की इन प्रोजेक्ट में हक को लेकर बात कर चुके हैं। जिसके बाद केंद्र सरकार ने बीबीएमबी से पानी लेने को लेकर एनओसी को हटाकर प्रदेश सरकार को राहत दी है और साथ ही शानन प्रोजेक्ट को तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद हिमाचल को सौंपने की बात भी केंद्र सरकार कर चुकी है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि आने वाले समय में पंजाब सरकार और हिमाचल सरकार के बीच तनातनी और बढ़ने वाली है।

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