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Monday, September 25, 2023

मानव तस्करी में गुजरात के हालात चिंताजनक

-नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से हुआ खुलासा

-गुजरात में पांच साल में 40 हजार से ज्यादा महिलाएं लापता, हर साल हुई बढ़ोतरी

अहमदाबाद, 03 जून (अशोक शर्मा/वेबवार्ता)। गुजरात में 5 साल के दौरान 41,000 से अधिक महिलाओं के लापता होने के मामले सामने आए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2016 में 7,105, 2017 में 7,712, 2018 में 9,246 और 2019 में 9,268 महिलाएं लापता हुई है। 2020 में 8,290 महिलाओं के लापता होने की सूचना थी, जिसके बाद कुल संख्या 41,621 तक बढ़ जाती है।

पुलिस नहीं मानती गंभीर

राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य. सुधीर सिन्हा ने कहा कि कहा, ‘कुछ लापता व्यक्तियों के मामलों में मैंने देखा है कि लड़कियों और महिलाओं को कभी-कभी गुजरात के अलावा अन्य राज्यों में भेजा जाता है और वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया जाता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘पुलिस की समस्या यह है कि वह गुमशुदगी के मामलों को गंभीरता से नहीं लेती है। ऐसे मामले हत्या से भी गंभीर होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जब कोई बच्चा लापता हो जाता है, तो माता-पिता अपने बच्चे के लिए सालों तक इंतजार करते हैं, और गुमशुदगी के मामलों की हत्या के मामले की तरह ही सख्ती से जांच की जानी चाहिए।’ सिन्हा ने कहा, ‘गुमशुदा लोगों के मामलों की अक्सर पुलिस द्वारा अनदेखी की जाती है, क्योंकि उनकी जांच ब्रिटिश काल के तरीके से की जाती है।’

राज्य के पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. राजन प्रियदर्शी ने कहा कि लड़कियों के लापता होने के लिए मानव तस्करी जिम्मेदार है। लापता महिलाओं को मानव तस्करी में लगे गिरोह उठाते हैं और दूसरे राज्य में बेच देते हैं। 41,621 तक पहुंच गई है। गौरतलब बताया था कि अहमदाबाद और है कि राज्य की भाजपा सरकार ने बड़ोदरा में एक साल (2019-20) में साल में लापता महिलाओं की संख्या 2021 में गुजरात विधानसभा में 4,722 महिलाएं बांसवाड़ा बिलासपुर बीकानेर बेंगलूरु मिलाई भीलवाड़ा भोपाल रतलाम रायपुर सतना सागर सीकर सूरत शहडोल श्रीगंगानगर लापता हो गई थीं।

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