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Thursday, December 7, 2023

महाराष्ट्र की जेलों में कैदियों के आएंगे ‘अच्छे दिन’, 50 साल से ऊपर वालों को VIP टाइप सुविधा देने की तैयारी

मुंबई, (वेब वार्ता)। महाराष्ट्र की जेलों में 50 साल की उम्र के विचाराधीन कैदी अब सोने के लिए तकिया और बेडिंग का उपयोग कर सकेंगे। अडिशनल डीजी (जेल) अमिताभ गुप्ता ने मंगलवार को एनबीटी को यह जानकारी दी। इन कैदियों को स्वयं के खर्च से यह लाना होगा। अभी तक जेल में कैदियों को सोने के लिए दरी मिलती रही है। साथ में एक पतला चादर दिया जाता है। लेकिन किसी कैदी को तकिया या गद्दे की सुविधा नहीं थी। अमिताभ गुप्ता ने सालों से चले रहे जेल के इस नियम को अब बदला है।

अडिशनल डीजी (जेल)ने जेल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उसमें उन्हें बताया गया कि कई कैदी ऐसे हैं, जो विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हैं। वह रात में ठीक से सो ही नहीं पाते। इसके बाद उन्होंने 50 साल से ऊपर के विचाराधीन कैदियों के लिए यह आदेश निकाला कि वह अपने खर्च पर जेल में तकिया और गद्दा यूज कर सकते हैं। उन्होंने इनका साइज भी फिक्स कर दिया है।

साढ़े तीन से चार हजार कैदियों को होगी सुविधा
महाराष्ट्र में 50 साल से ऊपर के साढ़े तीन से चार हजार कैदी हैं। गुप्ता का मानना है कि एक आम इंसान को यदि ठीक से नींद नहीं आती, तो वह चिड़चिड़ा हो जाता है। यह तो कैदी हैं। होमगार्ड के डीजी डॉक्टर भूषण उपाध्याय लंबे समय तक जेल के अडिशनल डीजी भी रहे। उन्होंने बताया कि यदि कोई कैदी ज्यादा बीमार रहता है और यदि जेल के डॉक्टर ने सिफारिश की, तो ऐसे कैदियों को जेल में बेड भी दिया जाता है।

कैदियों के हित में एक और कदम
पिछले सप्ताह अडिशनल डीजी अमिताभ गुप्ता ने एक और भी महत्वपूर्ण फैसला किया था। उन्होंने आदेश निकाला कि जिन कैदियों के वकील उनसे जेल में व्यक्तिगत तौर पर नहीं मिल पाते, वह कैदी अब महीने में दो बार जेल से दस-दस मिनट की कॉल अपने वकीलों को कर सकेंगे। जिन कैदियों के परिवार वाले व्यक्तिगत मुलाकात नहीं कर पाते, वह कैदी भी जेल में लगे क्वॉइन बॉक्स नंबर से अपने परिवार वालों से महीने में तीन बार दस-दस मिनट बात कर सकेंगे। यह फैसला इसलिए किया गया, ताकि कैदियों का स्ट्रेस थोड़ा कम हो सके।

कैदियों का जीवन बेहतर बनाने की तैयारी
कैदियों का जीवन बेहतर बनाने के लिए जेल प्रशासन ने कनविक्टेड कैदियों को उनके शहर के पास स्थित जेलों में ट्रांसफर करने का भी अहम फैसला किया। यह कदम इसलिए उठाया गया, क्योंकि कई कैदियों के परिवारों ने यह शिकायत की थी कि उन्हें अपने परिवार के सदस्य या सहयोगी से मिलने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। कनविक्टेड कैदियों के लिए अलग जेलें होती हैं।

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