नांदेड़, 05 अक्टूबर (वेब वार्ता)। पुलिस ने शिवसेना सांसद हेमंत पाटिल (Hemant Patil) द्वारा नांदेड़ के एक सरकारी अस्पताल के कार्यवाहक डीन से एक गंदा शौचालय साफ करवाने के बाद बुधवार को उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की। पाटिल के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर डीवाईएसपी सुशील कुमार नाइक का कहना है, “नांदेड़ ग्रामीण पुलिस स्टेशन में धारा 353 और अत्याचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। पीड़िता एसटी वर्ग से है। और आरोपी गैर-एसटी/एससी वर्ग से है। इसलिए, एट्रोसिटी एक्ट लगाया गया है… जांच चल रही है।”
बता दें कि हेमंत पाटिल ने नांदेड़ के एक सरकारी अस्पताल में 48 घंटे के दौरान 31 मरीजों की मौत होने के बाद स्थिति का जायजा लेने पहुंचे थे। अस्पताल के कार्यवाहक डीन एस आर वकोडे ने सरकारी सेवक के काम में बाधा डालने और उसका अपमान करने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद यह मामला दर्ज किया गया है।
Nanded, Maharashtra: On the FIR registered against Shiv Sena MP Hemant Patil, Sushil Kumar Naik, DYSP says, “A case has been registered at Nanded Gramin Police Station under Section 353 and the Atrocity Act… The victim is from the ST category, and the accused is from the… pic.twitter.com/AOnhsbgZT2
— ANI (@ANI) October 4, 2023
उल्लेखनीय है कि हिंगोली से सांसद पाटिल 30 सितंबर से दो अक्टूबर के बीच 12 शिशुओं समेत 31 मरीजों की मौत को लेकर आक्रोश के बीच मंगलवार को डॉक्टर शंकरराव चव्हाण राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें पाटिल को वकोडे को एक झाडू थमाते और उनसे गंदा शौचालय साफ करवाते हुए देखा जा सकता है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना से जुड़े पाटिल ने एक समाचार चैनल से कहा, “सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन मुझे यहां के हालात देखकर दुख हुआ। शौचालय महीनों से साफ नहीं किए गए हैं। अस्पताल के वार्ड में बने शौचालयों पर ताला लगा है। शौचालयों में पानी नहीं है।”
एक अधिकारी ने बताया कि वकोडे की शिकायत के बाद पाटिल और 10-15 अन्य लोगों के खिलाफ बुधवार सुबह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 353 (सरकारी सेवक को उसके कर्तव्यों के निवर्हन से रोकने के लिए उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करना), धारा 500 (मानहानि) और 506 (आपराधिक धमकी) के साथ ही अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।