उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को महाराष्ट्र के इतिहास और राजा की जानकारी न हो उसे महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाने से राज्य का कोई फायदा नहीं होगा। साथ ही महाराष्ट्र में किसी मराठी व्यक्ति हो ही राज्यपाल बनाया जाए। उन्होंने कहा की बीजेपी (BJP) के लोग छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) पर रोज कुछ न कुछ विवादित बयान दे रहे हैं जो ठीक नहीं है। इस वजह से एक दिन दोनों पक्षों में विवाद पैदा हो जाएगा। जिसका परिणाम दोनों ही दलों को भुगतना पड़ेगा।
क्या है असल विवाद की जड़?
कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में मंच से बोलते हुए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा था कि जब हम स्कूल में थे तो हमसे पूछा जाता था कि स्कूल में हमारा रोल मॉडल कौन है। उस समय हम छात्र वही कहते थे जो हमें अच्छा लगता था। यानी कुछ लोग सुभाष चंद्र को पसंद करते थे, कुछ नेहरू को, कुछ गांधीजी को। जिसे जो अच्छा समझता था, उसी का नाम लेता था। आज अगर आपको आदर्श तलाशने हैं तो बाहर जाने की जरूरत नहीं है। आप महाराष्ट्र में ही अपने आदर्श पा सकते हैं। अगर कोई आपसे पूछता है कि आपके नायक कौन हैं, तो मुझे लगता है कि आप इसे यहां प्राप्त कर सकते हैं। शिवाजी पुराने समय के आदर्श हैं। मैं एक नए युग की बात कर रहा हूं। डॉ अंबेडकर से डॉ. यहां तक नितिन गडकरी भी आपको यहां मिल जाएंगे।
वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब को पांच बार पत्र लिखकर माफी मांगी थी। त्रिवेदी के इस बयान के बाद महाराष्ट्र में बवाल मचा हुआ है। उन्होंने यह बयान एक निजी चैनल के डिबेट शो में बातचीत के दौरान दियाथा। इन दोनों बयानों के बाद पहली बार एकनाथ शिंदे गुट के किसी विधायक ने तल्ख़ टिपण्णी की है।