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Wednesday, October 4, 2023

बिहार में कांग्रेस करने जा रही बड़ा खेल! महागठबंधन सरकार में हिस्सेदारी शून्य होने से पार्टी में सियासी बवाल

पटना, (वेब वार्ता)। विधान परिषद के पांच सीटों पर हो रहे चुनाव को ले कर महागठबंधन ने भले उम्मीदवारों की घोषणा महागठबंधन के तमाम प्रतिनिधियों की मौजूदगी में कर दी। लेकिन महागठबंधन का मजबूत साथी कांग्रेस इस हिस्सेदारी से खुश नहीं है। राष्ट्रीय पार्टी होने के बाबजूद कांग्रेस को न तो उपचुनाव में भागीदारी मिली और न ही विधान परिषद के चुनाव में। यही वजह है कि प्रदेश कांग्रेस की पॉलिटिकल स्क्रीनिंग कमिटी की बैठक में कुछ सदस्यों ने नाराजगी भी व्यक्त की।

उप चुनाव और कांग्रेस

राज्य में जब मोकामा, गोपालगंज और कुढ़नी के उपचुनाव हुए थे। कांग्रेस ने गोपालगंज पर दावा ठोका था। मगर मोकामा और कुढ़नी पर जदयू ने अपना दावा बनाया रखा और गोपालगंज पर राजद ने। गोपालगंज की सीट सुभाष सिंह के निधन से खाली हुई थी। बीजेपी ने यहां से सुभाष सिंह की पत्नी को खड़ा किया था। चूंकी ये सीट भाजपा की सिटिंग सीट थी तब कांग्रेस ने अपना दावा ठोका था।

विधान परिषद की पांच सीट और कांग्रेस

राज्य में हो रहे पांच विधान परिषद की सीटों पर चुनाव में भी कांग्रेस प्रतिनिधित्व करना चाहती थी। कांग्रेस का तर्क यह था कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है। इस उम्मीद में कांग्रेस नेता अजय सिंह गया स्नातक क्षेत्र से न केवल चुनाव लड़ना चाहते थे बल्कि खूब प्रचार भी किया। मगर टिकट नहीं मिला। कांग्रेस के भीतर इस बात को ले कर मतभेद है। एक विचारधारा के लोग दोस्ताना चुनाव लड़ने के पक्षधर हैं तो दूसरी ओर के नेता चाहते हैं कि इन सब कमियों के बदले लोक सभा चुनाव में हिस्सेदारी मांगी जाए। इस संदर्भ में कल कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक भी हुई जहा घोषित उम्मीदवारों को भरपूर समर्थन देना तय हुआ।

क्या है आगे की रणनीति

कांग्रेस गलियारों की बात करें तो उनके रणनीतिकार की निगाहें 2024 का लोक सभा चुनाव में हैं। कांग्रेस चाहती है कि इन सब नजरंदाज करने को ले कर तब बात उठाई जायेगी। कांग्रेस चाहती हैं कि तब दबाव बनाकर ज्यादा से ज्यादा सीटें मांगी जाएंगी। एक आकलन के अनुसार कांग्रेस 8 सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव बनाएगी जबकि उनकी दावेदारी मात्रा एक सीटिंग सीट पर फिलहाल माना जा रहा है। बहरहाल, लगातार दबाव झेल रही प्रदेश कांग्रेस लोक सभा चुनाव में भयंकर दबाव बनाने जा रही है। अब ये महागठबंधन के रणनीतकार कैसे इस दबाव को झेल कर किसी निर्णय पर पहुंचती है। अभी तक तो विपक्षी एकता की मुहिम से यही लगता है कि देश भर में थर्ड फ्रंट बनने जा रहा है जहां कांग्रेस आगामी लोक सभा चुनाव कांग्रेस अकेले दम पर लड़ेगी।

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