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Wednesday, September 27, 2023

दूसरी शादी कर ली… पहली वाली से नहीं काट पाएंगे किनारा, जानिए क्या बोला हाई कोर्ट

कोलकाता, (वेब वार्ता)। कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि अगर किसी व्यक्ति ने दूसरी शादी की है, तो उसे अपनी पहली पत्नी को आर्थिक रूप से भरण-पोषण करने का खर्चा देना होगा। हाई कोर्ट ने कहा कि यह पति की जिम्मेदारी बनती है कि वह दूसरी पत्नी को जीविका चलाने के लिए उसे खर्चा पानी दे। शंपा दत्त (पॉल) की एकल-न्यायाधीश पीठ ने अतिरिक्त सत्र अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक शख्स के जरिए पहली पत्नी को देने वाले खर्चे को 6,000 प्रति माह से घटाकर 4,000 रुपए कर दिया गया था।

न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को बरकरार रखते हुए कहा, ‘एक व्यक्ति जो (पर्सनल लॉ के तहत) दूसरी बार शादी कर सकता है, वह कम से कम 9 सालों तक पहली पत्नी को खर्चा देने के लिए बाध्य है।’ याचिकाकर्ता व्यक्ति की पहली पत्नीने सीआरपीसी (1973) की धारा 125 के तहत एक आवेदन दायर किया था, जिसमें अपने पति से भरण-पोषण की मांग की गई थी। पीड़ित पत्नी के मुताबिक, उनकी शादी 2003 में मुस्लिम रीति-रिवाज से हुई थी। लेकिन उसने दावा किया कि बाद में उसे अतिरिक्त दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया। साल 2012 में उसके पति और ससुराल वालों ने महिला को घर से निकाल दिया गया, जिसके बाद उसके पति ने दूसरी शादी कर ली।

याचिकाकर्ता व्यक्ति की पहली पत्नी ने अदालत को बताया था कि जब उसे अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था, तो उसके पास कोई स्वतंत्र घर या आय नहीं थी, यहां तक कि पति या उसके परिवार वालों ने खर्चा तक नहीं दिया था। 2016 में मालदा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उस व्यक्ति को प्रतिमाह 6000 रुपए गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था। पति ने अपील की और साल 2019 में जज ने राशि घटाकर 4000 कर दी। यह संशोधन इसलिए हुआ क्योंकि पति के आए पर्याप्त नहीं थी। संशोधन को पलटते हुए कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा कि एक महिला जिसने लगन इमानदारी से और प्यार से अपने जीवन को इतने साल एक रिश्ते में दिया, वह तब तक पति की ओर से देखभाल की हकदार है, जब तक उसे इसकी जरूरत है।

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