–एफआईआर कराने की बात कहकर अधिकारी कर रहे हैं टालमटोल
–मुकेश शर्मा (9617222262)
ग्वालियर। दलालों और भ्रष्टाचारियों का अड्डा बन चुके मध्यप्रदेश ग्रह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल में आप पैसे की दम पर कुछ भी करा सकते हो यहां पैसा फेंको तमाशा देखो बाली कहावत सटीक बैठती है पैसे की दम पर उपयंत्री कार्यपालन यंत्री बनजाता है, बाबू हजारों फाइलें गायब कर सकता है, नेता का रिश्तेदार ठेकेदार बन सकता है काम कुछ नहीं करेगा केवल कुटेशन जारी होंगे और पैसा जेब में मंडल में दलालो की सूची में पत्रकार भी शामिल हैं जो पत्रकार इनकी मंडली में शामिल नहीं होता उसकी वरिष्ठ अधिकारियों से फर्जी शिकायत करते हैं मंडल में वैसे तो कई नटवर लाल हैं परंतु वर्तमान में जो मुख्य रूपसे चर्चा में है उनमें एक बाबू है अंबेश्वर भदौरिया अंबेश्वर कुछ भी कर सकते हैं या करबाने का प्रयास कर सकते हैं, अगर इनका अवैध काम न हो तो शिकायत भोपाल तक करदेते हैं। अंबेश्वर के एक एक करके कई मामले सामने आरहैं जिनमें हितग्राहियों से काम के बदले पैसे लेना पैसा न दो तो फाइलें गायब कर देना।एक दलित परिवार को मानसिक एवम् शारीरिक रूपसे प्रताड़ित करना क्योंकि उसका मकान जबरन हड़पना चाहता है जबकि उसपर न्यायालय से स्थगन आदेश है उसके बाद भी मंत्रियों की चिट्ठी लिखवाना अधिकारियों पर अनावश्यक दबाव बनाना फर्जी शिकायतें करना ही इनका मुख्य काम है।
एक मामला हाउसिंग बोर्ड की पॉस कॉलोनी दीनदयाल नगर में महाराजा कॉम्प्लेक्स स्थिति भवन क्रमांक डीएच 4 का है। जिसमें भवन मालिक कर्नल महेश चंद्र भवन क्रय करने के बाद उसको देखने तक नहीं आये यह भवन पूर्व मंत्री एवं भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के ठीक बगल में स्थित है जिसकी बाजारू कीमत लगभग 4 करोड़ है, भवन वर्षो से खाली पड़ा है तो दलालों की नजर उसपर पड़गई और दलालों ने उनके भवन के कूट रचित दस्तावेज तैयार कर भवन का 15 साल पहले नामांतरण करादिया। मामला संज्ञान में तब आया जब बैजंती देवी पत्नी श्री आर.बी शर्मा द्वारा रजिस्ट्री के लिये आवेदन लगाया दस्तावेजों में काफी कांट छांट थी इसलिए संबंधित बाबू को संदेह हुआ उसने मामले से वरिष्ठ अधिकारी को अवगत कराया, अधिकारी ने जब कागजों का गहन परीक्षण किया तो पाया कि उक्त दस्तावेज भवन क्रमांक एफ.एल 156 के हैं जिसकी फाइल ऑफिस से वर्षोसे गायब है।
चूंकि भवन मालिक कर्नल महेश चंद्र का परिवार भारत से बाहर रहता है इसी का लाभ उठाकर एक चपरासी ने जो हाउसिंग बोर्ड में दलाली भी करता है और जो 15 वर्ष पहले सपंदा शाखा में ही अटैच रहचूका है उसकी नजर डीएच 4 की फाइल पर पड़ी उसने बैजंती बाई, आर.बी शर्मा एवं श्री राम उप्रेती के साथ मिलकर षडयंत्र रचा और भवन क्रमांक 156 की गुमशुदा फाइल में कूट रचना कर डीएच 4 की फाइल तैयार कर नामांतरण करादिया।इस कूट रचना के षड़यंत्र पर किसी की नजर न पड़े इसलिए 15 वर्षो तक रजिस्ट्री के लिए आवेदन नहीं लगाया।अब जैसे ही रजिस्ट्री के लिए आवेदन लगा संपदा शाखा में पदस्थ एक बाबू की नजर कूट रचित दस्तावेजों पड़ी क्योंकि उसपर कई जगह फ्लूट लगा हुआ था बाबू ने संपदा अधिकारी को अवगत कराया संपदा अधिकारी ने गहन परीक्षण कर आवेदन को निरस्त करदिया जन चर्चा है कि उक्त चपरासी और अन्य दलालों के मध्य 45 लाख का लेनदेन हुआ है इस बात की भनक भी कार्यालय में है। जब रजिस्ट्री का आवेदन निरस्त होगया तो बौखलाया हुआ घूम रहा है।
इनका कहना है
आप जिस उपयंत्री की बात कर रहे हैं उनके पास सहायक यंत्री के साथ शायद दो जगह का कार्यपालन यंत्री का प्रभार भी है पर भोपाल से अभीतक उनको प्रभार देने का कोई आदेश नहीं आया है।
-एस के सुमन, उपायुक्त हाउसिंग बोर्ड ग्वालियर व्रत
मेरे द्वारा D H 4 का आवेदन निरस्त करदिया गया उनकी तरफ से कोई आगे कार्यवाही होती है तो नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी जहां तक अम्बेश्वर भदौरिया का सवाल है उसकी शिकायतें आई है मैंने भोपाल पत्र भी लिखे हैं उसने अभीतक संबंधित बाबू को चार्ज नहीं दिया है फाइलें खोने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
-एस के शर्मा, संपत्ति अधिकारी
मैंने दीनदयाल नगर में भवन क्रमांक E H 67 खरीदा है जिसके सभी ड्यूज कमप्लीट हैं एक साल पहले बाबू अंबेश्वर भदौरिया ने विज्ञप्ति छपाने के लिए 17 हजार रुपए लेलिये अब पजेशन के लिये 50 हजार रुपए और मांगे जा रहे हैं मेरा शिर्फ नामांतरण होना है में बहुत परेशान होगई इस लिए वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत की है।
-श्रीमती संगीता चंसोलिया भवन स्वामी E H 67 दीनदयाल नगर