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Wednesday, November 29, 2023

शिव’राज में बंजर जमीन और सूखी फसलें नहीं…

-लहलहाते खेत बने मध्यप्रदेश की पहचान

भोपाल, 10 अक्टूबर (वेब वार्ता)। सूखी फसलें जिस प्रदेश की पहचान थी, जहां कभी किसान बूंद-बूंद पानी को तरसता था आज उसी मध्यप्रदेश ने सिंचाई और कृषि क्षेत्र में नए सोपान गढ़े हैं। मध्य प्रदेश ने कुछ महीने पहले ही कृषि विकास और सिंचाई क्षेत्र में ऐतिहासिक योगदान के लिए केंद्र सरकार की ओर से देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

केंद्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा ब्यूरो द्वारा दिए गए इस अवार्ड को मध्यप्रदेश ने अपने निरंतर प्रयासों से हासिल किया है। 2003 में जिस प्रदेश की सिंचाई क्षमता मात्र 7 लाख हेक्टेयर थी आज यही सिंचाई क्षेत्र बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। सिंचाई क्षमता के अनुरूप वर्ष 2022-23 में मध्य प्रदेश को पाइप प्रणाली के माध्यम से सर्वाधिक सिंचाई क्षेत्र में पहला स्थान दिया गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम राष्ट्रीय स्तर पर इस अवार्ड के साथ जाना जाता है।

2025 तक 65 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र का लक्ष्य

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में मध्य प्रदेश ने इस सर्वाधिक सिंचाई स्तर की उपलब्धि को हासिल किया है। वर्ष 2023 की सिंचाई क्षमता 47 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 2025 में 65 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य भी रखा गया है। कभी सिंचाई के मामले में पहले नंबर पर आने वाले पंजाब को तीसरे नंबर पर भेजकर मध्यप्रदेश ने पहला स्थान हासिल किया है। मध्य प्रदेश में जल स्तर एवं सिंचाई की क्षमता के अनुपात पर एक नजर डालते हैं…

पानीदार प्रदेश पर एक नजर

2003 में सिंचाई क्षमता – 7.5 लाख हेक्टेयर

2023 में सिंचाई क्षमता – 47 लाख हेक्टेयर

2025 में सिंचाई का लक्ष्य – 65 लाख हेक्टेयर

एमपी का सिंचाई पर बजट – 6864 करोड़

प्रदेश में सिंचाई परियोजनाएं – 5299

जलाभिषेक अभियान में 5 लाख वाटर बॉडीज का निर्माण।

हर जिले में 75 अमृत सरोवर।

बुंदेलखंड में केन-बेतवा लिंक परियोजना संचालित।

प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में नदियों-डैम से नहरों का जाल

पंजाब छूटा पीछे, मध्य प्रदेश नंबर 1

मध्यप्रदेश धीरे-धीरे कृषि में सिंचाई क्षमता और उत्पादन में अग्रणी राज्य पंजाब और हरियाणा के बराबर पहुंचने वाला है। मप्र की भाजपा सरकार ने प्रदेश में जल संरचनाओं के संरक्षण, संवर्धन, नई सिंचाई परियोजनाओं और पेयजल परियोजनाओं के लिए छोटे, मध्यम और बड़े बांध बनाए हैं। सिंचाई का रकबा करीब छह गुना बढकर 45 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है। नतीजा प्रदेश में पैदावार बढ़ी तो किसान भी संपन्न होने लगे हैं।

एमपी सरकार ने बीते दो सालों में 126 नयी वृहद, मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाएँ शुरू की है। इनमें चार वृहद्, 10 मध्यम और 112 लघु परियोजनाएँ शामिल हैं। इन सभी 126 सिंचाई परियोजनाओं की लागत 6 हजार 700 करोड़ रूपए है। इन नयी सिंचाई परियोजनाओं से 3 लाख 34 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित की जा चुकी है। बता दें कि तवा परियोजना के तहत लोगों को सिंचाई के क्षेत्र में काफी ज्यादा लाभ मिला है, जिसकी बदौलत एमपी सिंचाई के क्षेत्र में ऊंचाइयों पर है।

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