भोपाल, (वेब वार्ता)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) में शुक्रवार को एक और अफ्रीकी चीते की मौत (African Cheetah Suraj Dies) हो गई। हालांकि, अभी तक चीते की मौत का कारण पता नहीं चल सका है। सूरज नामक इस नर चीते को इसी साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से श्योपुर जिले के कूनो में लाया गया था। पिछले चार महीनों में नेशनल पार्क में यह आठवें चीते की मौत है।
कूनो नेशनल पार्क में 8वें चीते की मौत पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक जेएस चौहान ने कहा, “कूनो में सूरज नामक एक और नर चीता की मौत हो गई है, जिससे कुल संख्या 8 हो गई है। मौत का कारण पोस्टमॉर्टम के बाद पता चलेगा। ऐसे प्रोजेक्ट में अक्सर मौतें होती रहती हैं। अगर ये मौतें स्वाभाविक रूप से हो रही हैं तो हमें घबराना नहीं चाहिए। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि आगे कोई मौत न हो। सभी आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।”
#WATCH | Bhopal | One more male Cheetah named Suraj has died in Kuno, taking the total number to 8. The cause of death will be known after the postmortem. There are frequent deaths in such projects. If these deaths are taking place naturally then we shouldn’t panic. We are trying… pic.twitter.com/oUgx3dJaLc
— ANI (@ANI) July 14, 2023
वहीं राज्य के वन मंत्री विजय शाह ने कहा, “मुझे जानकारी मिली है लेकिन चीते का पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है। उसके बाद ही कुछ कह पाऊंगा। यह जंगली जानवरों में आम बात है। हम इसमें शावकों को शामिल नहीं करते हैं लेकिन बाकी (मौतें) भोजन या संभोग को लेकर लड़ाई के कारण हुईं। यह जंगली जानवरों में आम बात है। हमारे अनुसार यह तीसरा या चौथा चीता है, इसलिए हम शावकों की गिनती नहीं करते क्योंकि ऐसा लग रहा था कि वे जीवित नहीं बचेंगे। भारत सरकार की एक टीम आई है और हम अफ्रीकी टीम से भी संपर्क कर रहे हैं।”
#WATCH | On reports of the death of the eighth Cheetah, Madhya Pradesh Forest Minister Vijay Shah says, “I have received the information but postmortem is being done. I will be able to say anything only after that. This is common among wild animals. We don’t include the cubs in… pic.twitter.com/f1JSduvU3a
— ANI (@ANI) July 14, 2023
इससे पहले दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए 20 चीतों में से पांच और भारत में पैदा हुए तीन शावकों की मौत हो गई थी। देश में इस प्रजाति को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद चीतों को भारत में फिर से लाया गया है। बता दें कि 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में भारत में अंतिम चीते की मौत दर्ज की गई थी और 1952 में इस प्रजाति को देश से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।