भोपाल। मध्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इसे कृषि पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाएगा। अब तक प्राकृतिक खेती के अभियान से 59 हजार से अधिक किसान जुड़ चुके हैं। देसी गाय पालने के लिए प्रोत्साहन स्वरूप नौ सौ रुपये प्रतिमाह अनुदान देने की व्यवस्था बनाई गई है। डिजिटल कृषि के के क्षेत्र में ई-उपार्जन और फसल बीमा योजना से कृषक के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है। किसान को घर और खेत से ही उपज विक्रम की सुविधा दी जा रही है।
यह जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में गुरुवार को प्राकृतिक खेती और डिजिटल कृषि को लेकर आयोजित बैठक में दी। वे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इसमें शामिल हुए थे।
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्राकृतिक खेती और डिजिटल कृषि के क्षेत्र में विभिन्न् राज्यों द्वारा किए जा रहे नवाचार एक दिशा में होने चाहिए। प्राकृतिक खेती गाय पर आधारित परंपरागत खेती है, जो धरती के सभी तत्वों का संरक्षण करती है।
उन्होंने राज्यों को सुझाव दिया कि कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में प्राकृतिक खेती को शामिल करने, किसानों को प्रेरित करने और उन्हें प्राकृतिक कृषि करने वाले किसानों के खेतों का भ्रमण कराने जैसी गतिविधियों को मिशन मोड में संचालित किया जाए। गोशालाओं को इससे जोड़ा जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता के परिणाम स्वरूप ही देश में डिजिटल कृषि से संबंधित गतिविधियों का क्रियान्वयन शुरू हो पाया है। देश में कृषि की विभिन्न् उपजों का उत्पादन मांग के अनुसार करने में इस अभियान से मदद मिलेगी और हम विभिन्न उत्पादों में आत्मनिर्भर हो सकेगा। किसानों को उपज का सही मूल्य दिलाने में भी मदद मिलेगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में डिजिटल कृषि से क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा। प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए किसानों का मानस बनाने और उन्हें प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों का मानव स्वास्थ्य पर घातक प्रभावों को देखते हुए प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। रासायनिक उर्वरकों के अधिक उपयोग से उत्पादन तो बढ़ा है, पर इससे खाद्य सामग्री का पोषण असंतुलन भी बढ़ा है। प्राकृतिक खेती के उत्पाद, स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभप्रद हैं। बैठक में प्रस्तुतीकरण भी हुआ, जिसमें बताया गया कि प्राकृतिक खेती मिट्टी के स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से अनुकूल है। इसमें लागत भी कम आती है।