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Tuesday, November 28, 2023

MP Election: भाजपा को टक्कर देने कांग्रेस ने बदली रणनीति, कमलनाथ, भूरिया और पचौरी जैसे दिग्गज भी संभालेंगे मैदान

भोपाल, 04 अक्टूबर (एब वार्ता)। भाजपा की तीन सूची में 79 नाम आने के बाद कांग्रेस भी अपने प्रत्याशियों की सूची जारी करने की तैयारी में जुट गई है। इसको लेकर दिल्ली में मंगलवार को कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई। इसमें प्रत्याशियों को लेकर चर्चा की गई। इसके अनुसार अब कांग्रेस भी अपने दिग्गजों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। इसमें पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ेंगे।

कमलनाथ दे रहे थे गोलमोल जवाब

कई मंचों पर चुनाव लड़ने को लेकर पूछे सवाल पर कमलनाथ अब तक गोलमोल जवाब देते है। यही वजह है कि उनके चुनाव लड़ने को लेकर असमंजस वाली स्थिति रही। अब पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा के पहलवानों को टक्कर देने के लिए कमलनाथ भी चुनाव मैदान में दिखेंगे।

पचौरी व भूरिया भी मैदान में होंगे

वहीं, चुनाव लड़ने से कतरा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी भी चुनाव लड़ेंगे। पचौरी दो बार भोजपुर से विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं। अब पार्टी फिर से उनको उतारने पर विचार कर रही है। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया भी झाबुआ से चुनाव मैदान में उतरेंगे। झाबुआ और रतलाम के सांसद रहे कांतिलाल भूरिया अपने बेटे विक्रांत भूरिया के लिए खुद चुनाव लड़ने से मना करते आ रहे थे।

तन्खा नरसिंहपुर में पटेल को देंगे टक्कर!

राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा ने भी विधानसभा का चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। दो बार जबलपुर से लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके तन्खा को दोनों बार हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, कांग्रेस के अंदर ही उनको नरसिंहपुर से भाजपा के प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के सामने मैदान में उतारने को लेकर चर्चा है।

दिग्विजय नहीं लड़ेंगे चुनाव 

पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह भी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने 2003 के बाद से कोई विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। उन्होंने 2019 में भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गए। दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघौगढ़ और छोटे भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा से विधायक हैं। दिग्विजय सिंह की प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ है। वे हारी सीटों को जिताने के लिए पिछले कई दिनों से दौरे कर रहे हैं। जानकार उनके चुनाव नहीं लड़ने के पीछे एक यह वजह भी बता रहे हैं।

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