भोपाल, 05 अक्टूबर (वेब वार्ता)। महिलाओं के विकास और उनकी सियासत में हिस्सेदारी का लंबा इतिहास रहा है। महिला मतदाताओं के वोट पाने को हर राजनीतिक दल आतुर रहता है, लेकिन महिलाओं को टिकट देने से परहेज करता है।
मध्य प्रदेश 1956 में नया राज्य बना और 1957 में यहां पहले विधानसभा चुनाव हुए। 1957 के चुनाव में सभी राजनैतिक दलों ने 36 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए थे। इनमें से 15 प्रत्याशी विजयी रही थीं। तब महिला उम्मीदवारों में सर्वाधिक मतों से भोपाल की लीना राय 15 हजार 609 मतों से विजयी रही थी।
जद्दोजहद और बार-बार संसद में पेश करने और सहमति नहीं बन पाने के कारण महिला आरक्षण बिल को काफी लंबा इंतजार करना पड़ा। आखिर लोकसभा और राज्य विधानसभाओ में महिलाओं को 33% आरक्षण देने का विधेयक मोदी सरकार ने हालिया विशेष संसद सत्र में पारित करा लिया। जाहिर है कि 2026 के बाद परिसीमन होगा और उसके बाद यह लागू होगा। तब देश की संसद व विधानसभाओं में महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सकेगा।
2008 में सर्वाधिक 226 महिला प्रत्याशी थीं
मध्य प्रदेश के पिछले पांच विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक 226 महिला उम्मीदवार 2008 के विधानसभा चुनावों में प्रत्याशी थीं। वहीं, सबसे अधिक 30 महिला विधायक 2013 में जीतकर सदन में पहुंची थीं। 2013 में मध्य प्रदेश की विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 13% था। इसके अलावा अन्य चुनावों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10% से कम ही रहा है।
2018 में 192 महिला प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई
जमानत जब्त होने के लिहाज से 2018 प्रमुख रहा। तब 192 महिला उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी। महिला मतदाताओं की संख्या और उनके टिकट वितरण में सभी राजनीतिक दलों को विशेष ध्यान देना होगा। ताकि उन्हें उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। भविष्य में महिला आरक्षण कानून लागू होने के बाद महिलाओं की हिस्सेदारी जरूर बढ़ेगी।
मप्र चुनाव व महिलाओं की भागीदारी
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- भाजपा की मीना मांडवे मानपुर (उमरिया) से और कांग्रेस की डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ महेश्वर (खरगोन) पांच बार से विधायक हैं।
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- 2003 में उमा भारती प्रदेश की पहली और अब तक की इकलौती महिला मुख्यमंत्री रही है।
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- 31 महिला विधायक 1985 में निर्वाचित हुई थी, जो अब तक का सबसे अधिक है।
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- 74.97% रहा था 2018 में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत।
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- तीन महिला मंत्री शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट में मंत्री हैं।
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- जमुना देवी के तौर पर अब तक सिर्फ एक ही महिला उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष रहीं।