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Tuesday, November 28, 2023

MP Election 2023: प्रेशर पॉलिटिक्स में फंसी कांग्रेस, इन सीटों पर बदलने पड़े तीन नाम

भोपाल, (वेब वार्ता)। विधानसभा चुनाव 2023 के लिए कांग्रेस में प्रेशर पॉलिटिक्स जारी है। पार्टी ने गुरुवार देर रात अपने प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की है। 88 नाम की इस सूची में दवाब के चलते तीन नाम पहली सूची के बदले गए हैं। इनमें दो सीट ग्वालियर चंबल क्षेत्र तो एक महाकौशल की है। इससे पहले कांग्रेस ने नवरात्रि के प्रथम दिन 144 नामों की अपनी पहली सूची जारी की थी। इसमें दतिया विधानसभा सीट से अवधेश नायक, पिछोर से शैलेंद्र सिंह और गोटेगांव से शेखर चौधरी को टिकट दिया था लेकिन विवाद बढ़ने पर कांग्रेस ने इन तीनों सीटों पर अपने प्रत्याशी बदल दिए हैं। अब दतिया से राजेंद्र भारती, पिछोर से अरविंद लोधी और गोटेगांव से एनपी प्रजापति को टिकट दिया है। कांग्रेस अब तक 230 में से 229 सीटों पर नामों का एलान कर चुकी है सिर्फ एक आमला सीट को होल्ड किया गया है। बताया जा रहा है कि घोषित 229 सीटों में से कुछ सीटों पर अभी विवाद बरकार है। यहां विरोध जारी है और प्रत्याशी बदलने की मांग उठाई जा रही है।

दतिया

दतिया विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने भाजपा के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के सामने अवधेश नायक को टिकट दिया था। जिसे एक तरह से वॉक ओवर बताया जा रहा था। जबकि पिछला चुनाव लड़ने वाले राजेंद्र भारती लगातार यहां सक्रिय थे, वे मात्र 2900 वोट से हारे थे। नायक का नाम सामने आने पर भारती और उनके समर्थकों ने मोर्चा खोल दिया था जिसके चलते कांग्रेस को अपना निर्णय और प्रत्याशी बदलना पड़ा।

पिछोर

बात करें पिछोर सीट की तो शैलेंद्र सिंह को भी कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा था। सीट पर उनका भी खासा विरोध हो रहा था। भाजपा ने यहां प्रतीम लोधी को टिकट दिया है। ऐसे में कांग्रेस ने भी जातीय समीकरण को साधने के लिए अरविंद लोधी को मैदान में उतारा है। इसके पहले कांग्रेस केपी सिंह कक्काजू यहां से लगातार जीत हासिल करते आए हैं। 2018 में भी उन्होंने प्रीतम लोधी को हराया था। लेकिन जीत का अंतर कम होने के चलते कांग्रेस ने इस बार चेहरा बदल दिया है। केपी सिंह की जगह शेलेंद्र सिंह को मोका दिया था पर विवाद बढ़ने पर उन्हें भी रिप्लेस करना पड़ा।

गोटेगांव 

कांग्रेस को अपनी इस सीट पर भी प्रत्याशी बदलना पड़ा है। कांग्रेस ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट काटकर शेखर चौधरी को यहां उतारा था लेकिन विवाद होने पर अब एक बार फिर एनपी को ही प्रत्याशी बनाया गया है। दरअसल एससी के लिए आरक्षित इस सीट पर कोई भी विधायक दूसरी बार नहीं चुना जाता है ऐसे में पार्टी ने अपनी रणनीति के तहत प्रत्याशी बदल दिया था लेकिन सिटिंग एमएलए प्रजापति ने अंत में अपने टिकट के लिए पार्टी को मना लिया। 2018 में एनपी ने बीजेपी के कैलाश जाटव को यहां से पराजित किया था। इसके पहले 2013 में जाटव ने एनपी को हराया था।

इंदौर 4

कांग्रेस की इस सीट पर भी प्रत्याशी को लेकर विरोध लगातार जारी है। पार्टी ने यहां से राजा मंधवानी को प्रत्याशी बनाया है। इसके पहले 2018 के चुनाव में सुरजीत सिंह चड्डा को उतारा था जिन्हें भाजपा की मालिनी गौड़ ने एक बड़े अंतर से पराजित किया था। इस बार कांग्रेस ने सिंधी कार्ड खेला है लेकिन मंधवानी को भारी विरोध झेलना पड़ रहा है। उनका पुतला तक फूंका जा चुका है। हालांकि देखा जाए तो इसके पहले भी सिंधी समाज से यहां पर नंदलाल माता कांग्रेस विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस को एक बार फिर सिंधी वोट बैंक से आस है। यहां सिंधी समाज बड़ी संख्या में है।

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