भोपाल, (वेब वार्ता)। महाकौशल क्षेत्र की 38 सीटों पर जातीय और सामाजिक समीकरण अलग-अलग है। यहां पर क्षेत्रीय नेताओं का भी प्रभाव है। महाकौशल में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती रही है, लेकिन 1998 के बाद से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के कारण कांग्रेस को नुकसान हुआ।
इससे कांग्रेस का परंपरागत आदिवासी वोटर भाजपा की तरफ शिफ्ट हो गया, जिससे महाकौशल में भाजपा को 2003 से विपक्ष से दोगुनी सीट पर जीत मिलती रही। 2018 के पहले गोंडवाना गणतंत्र पार्टी दो गुटों में बंट गई और भाजपा का परंपरागत शहरी और आदिवासी वोटर कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो गया, जिससे कांग्रेस फिर मजबूत हो गई।
महाकौशल क्षेत्र में प्रदेश के जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडौरी और बालाघाट जिले आते हैं। 2018 में इन आठ जिलों की 38 विधानसभा सीटों में कांग्रेस ने 24 और भाजपा ने 13 सीट और एक सीट कांग्रेस से बागी निर्दलीय ने जीती।
13 आदिवासी सीटों में से 11 कांग्रेस ने जीती
यहां पर आदिवासी वर्ग के लिए 13 सीटें आरक्षित हैं। इसमें से 11 कांग्रेस और दो भाजपा ने जीती। अब कांग्रेस के सामने आदिवासी वोट बैंक को बचाने और भाजपा के पास छिंटने आरक्षित वोटरों को दोबारा अपने साथ लाने की है। इसके लिए दोनों ही पार्टियां पूरा जोर लगा रही है। भाजपा आदिवासी वोटरों को साधने के लिए पिछले दो साल से तैयारी में जुटी हुई है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जो महाकौशल फहत कर लेगा वही दल सरकार बनाएगा।
गोंगपा ने 2003 में किया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) और बसपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया है। इस पार्टी का गठन अविभाजित मध्य प्रदेश में 1991 में हीरा सिंह मरकाम ने किया था। इस पार्टी ने 1998 में एक सीट जीती थी। इसके बाद 2003 में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर तीन सीटें जीतीं। इसके बाद पार्टी लंबे समय तक एकजुट नहीं रह पाई। अब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पूर्व अध्यक्ष रहीं मोनिका बट्टी भाजपा की तरफ से छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से प्रत्याशी हैं। भाजपा बट्टी के सहारे आदिवासी वोट बैंक को साधने की रणनीति पर काम कर रही है।
महापौर सीट हारी
शहरों में भाजपा का अच्छा वोट बैंक होने की बात कही जाती है। क्षेत्र में महाकौशल के जबलपुर में आरएसएस का अच्छा प्रभाव माना जाता है। पिछली बार जबलपुर की आठ सीटों में से तीन सीटें कांग्रेस के पास चली गईं। इसके बाद पार्टी से पिछले नगरीय निकाय चुनाव में जबलपुर महापौर की सीट भी छीन गई। इसकी वजह शहरी मध्यम वोटरों की पार्टी से नाराजगी को बताया जा रहा है। यहां पर कई सीटों पर ओबीसी वर्ग के लोधी, कुर्मी, यादव और अन्य जातियों का भी प्रभाव है।
कमलनाथ को टक्कर देने प्रह्लाद पटेल पर दांव
महाकौशल क्षेत्र पूर्व सीएम और पीसीसी चीफ कमलनाथ का गढ़ है। अब भाजपा ने महाकौशल की नरसिंहपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को प्रत्याशी बनाया है। पिछली बार छिंदवाड़ा जिले की सभी सातों सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। वहीं, उनका प्रभाव आसपास के जिलों की सीटों पर दिखा। यही वजह रही कि नरसिंहपुर की चार में से तीन, सिवनी की चार में से दो, बालाघाट की छह में से तीन सीट कांग्रेस जीती। वहीं, डिंडौरी में भी भाजपा का खाता नहीं खुला था। अब भाजपा ने नरसिंहपुर और उसके आसपास की सीटें जितने की जिम्मेदारी प्रह्लाद पटेल को दी है। वहीं, मंडला जिले के निवास से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को भी आदिवासी वोटरों को चुनाव मैदान में उतारा है। इसके अलावा जबलपुर पश्चिम सीट से सांसद राकेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
2018 में महाकौशल से सत्ता में लौटी थी कांग्रेस
वर्ष भाजपा कांग्रेस अन्य
2003 31 3 4
2008 22 16 0
2013 24 13 1
2018 13 24 1
(कुल सीटें 38)