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Thursday, November 30, 2023

मध्य प्रदेश : कार्यकर्ताओं की हताशा कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी चुनौती

भोपाल, (वेब वार्ता)। चुनाव में कोई भी राजनीतिक दल अपने समर्पित कार्यकर्ताओं के बल पर ही चुनाव लड़ता है, लेकिन जब कार्यकर्ता ही हताश होने लगे, तो आशंका के बादल घिरते दिखाई पड़ते हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में हाल की कई घटनाओं को लेकर ऐसे ही हताशा देखने को मिल रही है। चाहे मालवा हो या निमाड़ या हो विंध्य का इलाका। हर तरफ आपसी गुटबाजी और सरेआम नेताओं के बीच हाथापाई की घटनाओं से पार्टी कार्यकर्ता असमंजस में दिखाई पड़ रहे हैं। एक के बाद एक फेक न्यूज और फेक सर्वे से कांग्रेस की पोल खुलती जा रही है। इससे कार्यकर्ताओं में हताशा बढ़ती जा रही है कि कांग्रेस नेताओं के पास वाकई सच में कुछ कहने के लिए नहीं है, तो गलत सूचनाओं का सहारा ले रहे हैं।

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान है। प्रदेश में एक दर्जन सीट ऐसी हैं, जहां निर्दलीय भाजपा और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। डॉ. आंबेडकर नगर महू विधानसभा सीट से अंतर सिंह दरबार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। ये कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं, पर टिकट न मिलने से नाराज होकर चुनाव मैदान में उतर गए हैं। आलोट से प्रेमचंद गुड्डू, गोटेगांव से शेखर चौधरी, सिवनी मालवा से ओम रघुवंशी, होशंगाबाद से भगवती चौरे, धार से कुलदीप सिंह बुंदेला, मल्हारगढ़ से श्यामलाल जोकचंद, बड़नगर से राजेंद्र सिंह सोलंकी, भोपाल उत्तर से नासिर इस्लाम और आमिर अकील भी निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने इन्हें समझाने-मनाने की खूब कोशिश भी की, लेकिन बात नहीं बनी। दरअसल, पार्टी ने गोटेगांव और बड़नगर में पहले जो प्रत्याशी घोषित किए थे, उन्हें बदल दिया। इससे आहत दोनों सीटों पर कांग्रेस नेता निर्दलीय मैदान में उतर गए।

अब कमलनाथ को जनता अपना नाथ मानती है या नही ये तो बाद में पता चलेगा। लेकिन उनकी रैली का फीकापन देखकर कांग्रेसियों का डर तो स्वाभाविक है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि  हम बस ये सोचकर बैठ गए हैं कि शिवराज का राज खुद ब खुद चला जायेगा। लेकिन मोदी – शाह की जोड़ी हारी हुई बाजी भी पलट देती है। यहां तो अभी शिवराज का ही राज है। इसलिए अगर कांग्रेस चौकन्ना नही हुई, तो मध्यप्रदेश में कमलनाथ का हाथ सत्ता से फिर दूर न रह जाये। बाकी एक पेंच यह भी है कि ,कांग्रेस के कई बड़े नेता अभी से कह रहे हैं भाई अबकी बार कांग्रेस नही कमलनाथ की लड़ाई है। यानि  कांग्रेस में भितरघात भी कम नहीं। फिलहाल भाजपा चुनौतियों के बीच अपना घर संभालकर सत्ता की राह संवारने में पूरी ताकत से जुट गई है। वहीं, कांग्रेस भाजपा की विफलता में अपनी सफलता की आस लगाए हुए है।

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