22.1 C
New Delhi
Saturday, December 9, 2023

फिर अटक सकती है हुकुमचंद मिल के मजदूरों की भुगतान प्रक्रिया, आचार संहिता के कारण फंसा पेंच

इंदौर, (वेब वार्ता)। हुकुमचंद मिल के 5 हजार 895 मजदूरों के भुगतान की प्रक्रिया एक बार फिर उलझ सकती है। मप्र गृह निर्माण मंडल के लिए आचार संहिता के दौरान चुनाव आयोग से मिल मजदूरों के भुगतान के लिए अनुमति प्राप्त करना आसान नहीं होगा। यह अनुमति नहीं मिली तो 29 नवंबर को होने वाली सुनवाई में कोर्ट उस समझौते को निरस्त कर सकती है जिसमें शासन, मप्र हाउसिंग बोर्ड, नगर निगम, मजदूर संघ सहित अन्य देनदारों ने सहमति जताई थी।

समझौते के अनुसार मिल की जमीन पर मप्र हाउसिंग बोर्ड और इंदौर नगर निगम को संयुक्त रूप से आवासीय और व्यावसायिक प्रोजेक्ट लाना है। इसके एवज में मप्र हाउसिंग बोर्ड ने मजदूरों के 174 करोड़ रुपये और इस रकम पर 50 करोड़ रुपये ब्याज इस तरह 224 करोड़ रुपये के भुगतान सहित अन्य देनदारों के भुगतान करना हैं।

इस समझोते को मंत्री परिषद की अंतिम बैठक में स्वीकृति भी मिल चुकी है। इस बीच चुनाव आचार संहिता लग गई। इसके चलते मजदूरों और अन्य पक्षकारों का भुगतान नहीं हो सका।गुरुवार को इस मामले में हुई सुनवाई में कोर्ट ने मप्र गृह निर्माण मंडल से कहा है कि वह 28 नवंबर तक अनिवार्य रूप से चुनाव आयोग से मजदूरों के भुगतान की अनुमति प्राप्त कर ले, ऐसा नहीं करने पर कोर्ट उक्त समझोता निरस्त कर सकती है।

आसान नहीं होगा मिल की जमीन बेचना

मिल परिसमापक का कहना है कि मिल की जमीन की कीमत मप्र हाउसिंग बोर्ड द्वारा किए जा रहे भुगतान से कई गुना ज्यादा है और समझौता निरस्त होने की स्थिति में वह खुद इस जमीन को बेच सकते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि मिल की जमीन को बेचने के लिए आधा दर्जन से ज्यादा बार निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी हैं, लेकिन जमीन बिक नहीं सकी। ऐसे में अगर समझौता निरस्त होता है तो मजदूरों का भुगतान फिर अटकना तय है क्योंकि मिल की जमीन बेचकर मजदूरों को भुगतान कर पाना आसान नहीं होगा।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

10,370FansLike
10,000FollowersFollow
1,156FollowersFollow

Latest Articles