-भारौली और लहार थाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा
-जिले में 13 रेत खदानें स्वीकृत, 20 से अधिक पर हो रहा है अवैध खनन
-मुकेश शर्मा- (9617222262)
ग्वालियर, 29 जनवरी (वेब वार्ता)। मध्य प्रदेश का भिंड जिला जो कभी डकैतों एवं एवं बागियो के आतंक के लिए कुख्यात था आज रेत के अवैध खनन के लिये पूरे प्रदेश में अब्बल नंबर पर जाना जाता है पुलिस और प्रशासन, नेता ओर मीडिया के तथाकथित ध्वजवाहकोन के संरक्षण में चल रहे इस जहरीले कारोबार से जहां जिले की जीबन दायनी सिंध नदी का अस्तित्व खतरे में है वहीं जलीय जीब समाप्त होने के कगार पर है जिससे आसपास के गाँवों का जल स्तर तो कम हो ही गया है साथ ही प्रतिदिन निकलते रेत के बाहनों से उड़ते धूल के गुब्बारों से मानव स्वास्थ पर विपरीत असर पड़ रहा है जहां पर रेत का खनन होरहा है वहां के आसपास के ग्रामीण दमा जैसी कई गंभीर बीमारियो के शिकार होरहे है।
जिले में अवैध रेत का उत्खनन सत्ता पक्ष, विपक्ष पुलिस, कुछ मूर्धन्य स्व्यम् भू कलमकार जो दिनभर थाना ओर पुलिस के कसीदे पढ़ते रह्ते है के अलावा प्रशासन के अधिकारियों के लिए दुधारू गाय के समान हो गया है। लेकिन इस कारोबार से शासन को प्रति माह करोड़ों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। वैसे तो जिले में खदानें स्वीकृत की गई है। कंपनी इन्ही से रेत निकाल सकती है। लेकिन हकीकत में कंपनी 25 से अधिक खदानो पर अवैध रूप से रेत खनन कराने में जुटी हुई है। इन खदानों पर पनड़ब्बी के माध्यम से सिन्ध नदी का सीना चीरकर रेत निकला जा रहा है। यदा कदा पुलिस और खनिज विभाग के अधिकारी छापामारी की औपचारिकता करते है। पनड़ब्बी को नुकसान पहुंचाकर ये दिखा जाता है कि माफिया का नुकसान कर दिया है। परंतु ऐसा होता नहीं है। यदि आपकों अवैध खनन और ओवरलोडिंग की हकीकत जाननी है तो बरही टोल प्लाजा तक जाना होगा। चश्मदीदों के अनुसार प्रति रात 700-900 तक डंपर गुजर रहे है। इनमें से 40 फीसदी के आसपास पर रॉयल्टी नहीं होती। वाहनों के निकलने का सिलसिला 11 बजे रात से शुरू हो जाता है जो सुबह बजे तक चलता है।
भिंड जिले में रेत उत्खनन का टेंडर राघवेंद्र कुमार सिंह को दिया गया है। बताया जाता है कि उक्त कंपनी के सपोट में शिवा और पावर मेक मिलकर खदानों से रेत का उत्खनन करा रही है। सूत्रों के मुताबिक रेत खनन का टेंडर लेने वाली कंपनी के कर्मचारी जिले की अवैध रेत खदानों से रेत को निकलवाने का काम कर रहे हैं। इन कंपनी के कर्मचारियों की शह पर रेत माफिया नदियों में पनडुब्बी डालकर रेत खींचते हैं। रेत खनन का टेंडर लेने वाली कंपनी द्वारा लगाए गए नाकों से हर रोज बड़ी तादाद में रेत से भरे ट्रैक्टर बिना रॉयल्टी के निकाले जा रहे हैं।
यही कारण है कि रेत का उत्खनन कराने वाले यह कंपनी को कर्मचारी अवैध रेत खदानों पर पनडुब्बियों से रेत निकाली जाने के बाद भी उनकी सूचना प्रशासनिक अफसरों को नहीं दी जाती है। हालांकि रेत के काले कारोबार में उच्च स्तर तक अफसर जुड़े हुए हैं यही कारण है कि अब तक पकड़ी गई आधा दर्जन से अधिक पनडुब्बियों और 2 दर्जन से अधिक ट्रैक्टर द्वारा रेत का अवैध परिवहन किए जाने के बाद भी अब तक एक पर एफआईआर दर्ज हुई है वो भी अज्ञात में। इतना ही नहीं खनन। माफिया और प्रशासन के बसूली एजेंटो ने एक वाट्सएप ग्रुप भी बना रखा है जिसके माध्यम से बसूली की बातचीत होती है।
शहर में कई स्थानों पर लग रही है रेत की अवैध मंडी
पुलिस और प्रशासन के अधिकारी अक्सर अवैध उत्खनन न होने का दावा करते नजर आते है। माफिया के खिलाफ कार्रवाहियों का हवाला भी दिया जाता है। मगर शहर में कई स्थानों पर लगने वाली अवैध मंडी साफ तौर पर चुगली करती नजर आर ही है। जिला अस्पताल के सामने, नगरपालिका के पास, मेला के पास और भारौली तिराहे के अलावा गौरी सरोवर के किनारे भी आपकों सुबह 4से 7 बजे के बीच सैकड़ों की संख्या में टै्रक्टर ट्रालियां खड़ी नजर आ जाएगी। इनमें से 80 फीसदी पर रेत ओवरलोड़ होगा। रात गस्त के दौरान पुलिस के कर्मचारियों को भी ये नजारा दिख जाता है। परंतु उच्च स्तरीय सैटिंग के चलते सब कुछ बदस्तूर चल रहा है।
इस मामले में जिला खनिज अधिकारी प्रदीप डूडवे का कहना है कि अवैध रेत खनन के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। दो माह के भीतर ही कई बार पनड़ब्बियों को नुकसान पहुंचाया गया है। हाल ही में एफआईआर भी दर्ज की गई है। वहीं भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य रमेश दुवे का कहना है कि रेत के अवैध खनन में कोई कमी नहीं आई है जैसा पहले चल रहा था वैसा अब भी चल रहा है।
सबसे बड़ा सवाल?
गिरोह बनाकर रेत माफिया से सैटिंग करने वालों ने किया पत्रकारिता को शर्मसार
मध्यप्रदेश के अंतिम छोर उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा भिण्ड जिला विकास के लिए तो आजादी से लेकर आज तक बाट जोह रहा है। परंतु इस जिलेकी खास बात यह है कि यहां रेत का अवैध कारोबार जबरदस्त एवं सुनियोजित ढंग से चल रहा है, इसमें कोई अकेले पुलिस और प्रशासन दोषी नहीं है बल्कि जिले के मूर्धन्य कलमकार भी बराबर के भागीदार हैं,कुछ कामकार तो रेत कंपनी से बाकायदा मासिक हिस्सा लेते हैं तो कुछ के डंफर और ट्रेक्टर चल रहे हैं यही कारण है कि तथाकथित बड़े अखबारों के अदने से ब्यूरो चीफ भी मुंह में गूंगे का गुड़ दबाकर बैठे हैं और माफिया सिंध नदी का सीना छलनी कर रहा है।
खबर है कि रेत खनन करने वाली कंपनी पावर मैक ने जिले के जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी के माध्यम से सभी मूर्धन्य कलमकारों का हिस्सा बांधने में अहम भूमिका निभाई है। इस समय भिण्ड जिले में लूट खसोट का काम कुछ लोगों के द्वारा गिरोह बना कर किया जा रहा है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बीते दशक में आई भरमार के पीछे कुछ संगठित लोगों का दिमाग चल रहा है। इन लोगों ने पत्रकारिता की दुकाने चलाने के लिए बकायदा रोजनदारी से कुछ ऐसे लोगों को पाल रखा है जिनका काम गांव-गांव जाकर सरपंच से लेकर ग्राम पंचायतों के सचिवों सहकारी समितियों के प्रबंधक से लेकर सेल्समेन और सरकारी विभाग में जाकर पत्रकारिता की आड़ में सिर्फ और सिर्फ वसूली करना एक मात्र उद्देश्य है।
सूत्र बताते है कि इन लोगों के जिले के बड़े अधिकारियों की दुखती नश दवा रखी है इसलिए अगर कोई पत्रकार सही पत्रकारिता करना चाहे तो ये टुच्चे उसकी राह में हर तरीके के रोड़े अटकाते है। जिले के सीमावर्ती थाने इनके कमाऊ पूत हैं और इन तथाकथित पत्रकारों की पत्रकारिता यहीं से चलती है अखबारों में इन्हीं क्षेत्रों के थाना प्रभारियों के कसीदे मिलेंगे। यूट्यूब बालों ने तो सारी सीमाएं पार कर दी है। लकड़ी के डंडे में लगा एक माईक आईडी और एक 10 हजार का मोबाईल बस धंधा शुरू,काम दिनभर अधिकारियों और नेताओं की चापलूसी। इस समय भिण्ड जिले की पत्रकारिता में होटलो में काम करने वाले वेटर से लेकर मैनेजर तक कूद पड़े है।
जिले के भारौली और लहार दोनों थाने रेत के अवैध खनन के लिए सबसे ज़्यदा कुख्यात है भारौली थाना प्रभारी अनीता गुर्जर ने तो अवैध खनन की शिकायत करने वाले को झूंठे केस में फसाने की धमकी भी दे डाली जिसकी शिकायत पीड़ित ने पुलिस के आला अधिकारोयों से की लेकिन आजतक कोई कार्यवाही नहीं हुई पीड़ित भय के कारण अपने घर पर भी नहीं रह रहा है चूँकि जिले में रेत के थानों की पुलिस द्वारा एक तरह से नीलामी की जाती है तो ऐसे में वरिष्ठ अधिकारी क्या कार्यवाही करेंगे?
अब बात आती है लहार थाने की यहां पदस्थ थाना प्रभारी शिवसिंह बगुला भगत है हालाँकि शिवसिंह यादव का विवादों से पुराना नाता रहा है मौ थाने में पदस्थ रहते हुए श्री यादव पर एक दलित महिला के उत्पीड़न की शिकायत आज भी लंवित है बताया जाता है कि पीड़ित महिला ने अपने ऊपर हुई ज़्यदाती की शिकायत थाना प्रभारी से की थी जिस पर थाना प्रभारी यादव ने भी महिला से अश्लील हरकत करदी जिसकी शिकायत पीड़ित महिला ने पुलिस अधीक्षक सहित प्रधानमंत्री तक की है परन्तु आरोपियों को बचाने के चककर में जांच अब तक जारी है। वैसे भी लहार मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह का क्षेत्र है और रेत खनन के लिए कुख्यात है हालाँकि बीते वर्ष गोविंद सिंह ने नदी बचाओ यात्रा भी निकाली थी परन्तु उसका रेत माफिया पर कोई असर नहीं पड़ा लहार में अवैध खनन को थाना प्रभारी का खुला संरक्षण है या अघोषित हिस्से दारी है ये जांच का विषय है।