ग्वालियर, (वेब वार्ता)। मानसून सीजन के बावजूद बारिश के लंबे ब्रेक और अब बढ़े तापमान से ग्वालियर-चंबल से लेकर बुंदेलखंड तक के जिलों में खेतों में खड़ी फसल झुलसने लगी है। जिन किसानों पर ट्यूबवेल से सिंचाई के साधन हैं, वे भी बिजली संकट के कारण अपनी मेहनत की कमाई को बर्बाद होते देखने को मजबूर हैं।
किसानों को कहना है कि अगर अगले दो-तीन दिन में बारिश नहीं हुई तो फसलें बचनी मुश्किल हैं। शिवपुरी में कृषि विभाग के उपसंचालक यूएस तोमर का कहना है, वर्तमान हालात में मूंगफली और धान, सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
ये हैं हाल छतरपुर
मूंगफली, मैथा, तिल्ली की फसल सूखने के कगार पर हैं। इस बार 574 एमएम बारिश ही दर्ज हो सकी है, जो औसत बारिश से 25 एमएम कम है।
टीकमगढ़
सोयाबीन और मूंगफली की फसलें सूखने लगी है। जिले में औसत बारिश महज 603 मिमी यानी 60 प्रतिशत रिकार्ड हुई है। शुरुआत में अच्छी बारिश से जो तालाब भर गए थे, वे भी सूखने लगे हैं।ॉ
शिवपुरी
अधिकतम तापमान 38 डिग्री तक पहुंच चुका है। मूंग, सोयाबीन में तो फली तक नहीं आई है।
श्योपुर
21 अगस्त को पहली बार झमाझम वर्षा हुई थी। इसके बाद से वर्षा नहीं हुई है। एक सप्ताह से अधिकतम तापमान 36 डिग्री से ऊपर बना हुआ है।
मुरैना
23 अगस्त के बाद से बारिश नहीं हुई। तापमान 37 से 38 डिग्री तक जा पहुंचा है। सबलगढ़, पहाड़गढ़ से लेकर अंबाह-पोरसा क्षेत्र में खड़ी बाजरा की फसल मुरझाने के कगार पर हैं।
भिंड
पिछले पांच से दिन का तापमान 39-40 डिग्री सेल्सियस के बीच है। ग्रामीण क्षेत्रों में पंप कनेक्शन पर महज दो से तीन घंटे ही बिजली मिल पा रही है। तापमान बढ़ने और पर्याप्त बिजली न मिल पाने की वजह से 50 से 60 फीसद धान की फसल प्रभावित है।
दतिया
दतिया सहित सेवढ़ा, इंदरगढ़, भांडेर, बसई, थरेट आदि क्षेत्र के कई गांवों में धान की फसल सूख गई है। मूंगफली, उड़द, मूंग आदि फसल के पत्ते पीले पड़ जाने और माहू इल्ली के प्रकोप से करीब 20 प्रतिशत फसल का नुकसान होने की बात किसान कह रहे हैं।