भोपाल, (वेब वार्ता)। मध्य प्रदेश में सत्ता पाने के लिए कांग्रेस बड़े मतदाता वर्ग आदिवासी और ओबीसी के सम्मेलन करेगी। ये राज्य स्तरीय कार्यक्रम होंगे। आदिवासी सम्मेलन झाबुआ में तो ओबीसी का भोपाल में होगा। इसकी तैयारी की जिम्मेदारी पार्टी के आदिवासी और ओबीसी वर्ग के नेताओं को सौंपी गई है। सम्मेलन की तारीख भी ये ही प्रस्तावित करेंगे। बुंदेलखंड अंचल में एससी वर्ग का बड़ा कार्यक्रम भी चुनाव अभियान समिति ने प्रस्तावित किया है। प्रदेश में एसटी वर्ग के लिए 47 सीटें सुरक्षित हैं पर इनका प्रभाव 80 से अधिक सीटों पर है।
ओबीसी मतदाताओं का प्रभाव भी 100 से अधिक सीटों पर है। इसे देखते हुए भाजपा और कांग्रेस, दोनों आदिवासी और ओबीसी वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति ने तय किया है कि आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में प्रांतीय सम्मेलन किया जाएगा। इसमें झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन सहित अन्य जिलों के आदिवासी भाग लेंगे।
इसकी तैयारी का जिम्मा चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को दिया गया है। आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम और युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. विक्रांत भूरिया इसमें सहयोगी की भूमिका निभाएंगे। अरुण यादव और कमलेश्वर पटेल देखेंगे ओबीसी सम्मेलन की तैयारी उधर, भोपाल में प्रस्तावित ओबीसी सम्मेलन की तारीख प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल निर्धारित करेंगे।
दोनों को सम्मेलन की पूरी रूपरेखा बनाने और तैयारी करने का दायित्व भी दिया गया है। प्रदेश में कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। पिछले महीने कांग्रेस ने सुनियोजित तरीके से अशोकनगर, गुना, शिवपुरी सहित अन्य जिलों के पिछड़ा वर्ग से जुड़े नेताओं को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई है।
अशोकनगर, गुना, शिवपुरी, रायसेन, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी सहित अन्य जिलों में यादव समाज के नेताओं का प्रभाव है। यही कारण है कि अरुण यादव को इन्हीं जिलों में जन आक्रोश यात्रा की अगुआई करने का दायित्व भी दिया है। वहीं, विंध्य में ओबीसी के प्रभाव को देखते हुए कमलेश्वर पटेल को आगे बढ़ाया गया है। उन्हें चुनाव से संबंधित सभी समितियों में सदस्य बनाने के साथ कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति भी शामिल किया गया है।