भोपाल, (वेब वार्ता)। कोविड-19 महामारी के दौरान मध्यप्रदेश के 78 प्रतिशत शिक्षकों ने यह माना कि बच्चे आनलाइन यौन शोषण के शिकार हुए। क्राई-चाइल्ड राइट्स एंड यू एवं सीएनएलयू (चाणक्य नेशनल ला यूनिवर्सिटी) पटना द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ। अध्ययन में बताया गया कि कोविड काल के बाद बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन देखा गया है। इनमें 95 प्रतिशत से अधिक लड़कियां हैं। इतना ही नहीं, खतरा इसलिए भी बड़ा है क्योंकि 99 प्रतिशत अभिभावकों को नहीं पता कि बच्चे क्या देख रहे हैं?
किशोर आनलाइन यौन शोषण के आसान शिकार
पोक्सो (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्सुअल आफेंस) एक्ट, 2012 के लागू होने के 10 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में किए गए इस अध्ययन के अनुसार 14-18 वर्ष के आयु वर्ग के किशोर एवं किशोरी आनलाइन बाल यौन शोषण के सबसे आसान शिकार हैं। निष्कर्षों के अनुसार 94 प्रतिशत शिक्षकों ने बताया कि बच्चों को आनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से अजनबियों द्वारा दोस्ती की मांग करने, व्यक्तिगत और पारिवारिक विवरणों के बारे में जानकारी अर्जित करने और यौन सलाह देने के लिए संपर्क किया गया था। यह अध्ययन मध्यप्रदेश सहित चार राज्यों (कर्नाटक, पश्चिम बंगाल एवं महाराष्ट्र) में किया गया।
98 प्रतिशत अभिभावक बोले- पुलिस में नहीं करेंगे शिकायत
क्राई रिपोर्ट में सामने आया कि 98 प्रतिशत माता-पिता ने माना है कि यदि उनके बच्चों के साथ आनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार होता है तो वे पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज नहीं करेंगे, जबकि केवल दो प्रतिशत ने इस विकल्प को अपनाने की बात कही।
99 प्रतिशत अभिभावकों को नहीं पता क्या देख रहे बच्चे
अध्ययन मे शामिल माता-पिता में से 99 प्रतिशत ने यह माना कि वे अपने बच्चों द्वारा देखे जाने वाले आनलाइन सामग्री से अनभिज्ञ थे। उनके बच्चे द्वारा देखे जा रहे वास्तविक सामग्री के विवरण से अनजान, 53 प्रतिशत माता-पिता ने जवाब दिया कि लड़के संगीत सुनने/वीडियो देखने में शामिल होते हैं। 48 प्रतिशत आनलाइन गेम शामिल है। 57 प्रतिशत माता-पिता ने जवाब दिया कि लड़के पढ़ाई से जुड़े सामग्री देखते होंगे। वहीं लड़कियों के मामलों मे यह प्रतिशत 83 प्रतिशत था।