भोपाल, (वेब वार्ता)। धार स्थित धर्मपुर गांव के जंगलों और खेतों में दौड़ का अभ्यास करने के बाद मध्यप्रदेश एथलेटिक्स अकादमी में अपने खेल की बारीकियां सीखने वाली धावक शिवकन्या मुकाती ने खेलो इंडिया गेम्स के 200 मीटर दौड़ इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा तो दिखा दी लेकिन अपना दर्द नही छुपा सकी।
उन्होंने पदक जीतने के बाद अपनी गीली आखों और भर्राई आवाज में बताया कि उन्होंने यहां तक आने के लिए बहुत मेहनत की है। पिता एक किसान है और इसलिए उनके पास बहुत धन नही है। जैसे तैसे वह परिवार के लिए भोजन और अन्य जरुरतों का सामान ही जुटा पाते है, ऐसे में बच्चों के भविष्य की चिंता उनके माथे की लकीरों में हमेशा नजर आती थी। जब मैने यह स्थिति समझी तो कुछ करने की ललक जगी और तभी स्कूल में पढ़ाई के साथ खेलों में भाग लेने लगी। मेरे कोच ने मुझे कहा कि तुम दौड़ में अच्छा कर सकती हो तब मैने अपने खेतों और पास के जंगल में दौड़ने का अभ्यास किया। इसके बाद जब मप्र अकादमी के लिए टेलेंट सर्च में प्रदर्शन करने का मौका मिला तो उसमें चयन हो गया। तभी टीटी नगर स्टेडियम में स्थित मप्र एथलेटिक्स अकादमी में प्रशिक्षक शिप्रा मसीह मुझे प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हूं।
पिता की बीमारी में बेचनी पड़ी आधी जमीन
शिवकन्या ने बताया कि अभी कुछ रोज पहले उनके पिता का पेट की बीमारी के कारण आपरेशन हुआ है और खर्च अधिक होने की वजह से उनके पिता ने इलाज के दौरान आधी जमीन भी बेच दी। लेकिन कोई बात नही वह सलामत रहे जमीन का क्या है वह तो मै उनके लिए कुछ बनने के बाद खरीदकर दे दूंगी। शिवकन्या ने बताया कि पिता भले ही बीमार थे लेकिन उन्होंने उस दौरान भी मुझे हमेशा हौसला दिया है। हम तीन भाई-बहिन है, भाई मुझसे बड़ा और बहन छोटी है।
प्रशिक्षक की मेहनत रंग लाई
अपनी इस सफलता को अपनी प्रशिक्षक शिप्रा मसीह को दिया है। उन्होंनेे कहा है इस सफलता में मेरी मेहनत से ज्यादा मेरी कोच की मेहनत और अनुभव है, क्योंकि यह उनके अनुभव के कारण ही संभव हो सका है। मै आज जो भी कर पाई हूं, कोच मैडम की वजह से ही कर पाई हूं। क्योंकि उन्होंने प्रैक्टिस के अलावा भी दूसरी परेशानियों में साथ दिया है। अब चाहे वह खेल हो या घर की समस्याएं, वह साथ खड़ी रहीं। इसके अलावा मै मध्य प्रदेश अकादमी को भी धन्यवाद देना चाहती हूं।
हिमा दास की जबरा फैन है शिवकन्या
शिवकन्या ने बताया कि वह किसी से प्रेरित होकर इस खेल में नही आईं लेकिन अब उनकी प्रेरणा हिमा दास है और वह आगे जाकर उनकी तरह ही देश और दुनिया में अपने परिवार व कोच का नाम रोशन करना चाहती है। इसके लिए खूब जमकर अभ्यास करना है ताकि ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर सकूं।
जंगल मे ही बनाया अभ्यास ट्रैक
जब दुनिया कोरोना महामारी से परेशान थी, तब शिवकन्या मुकाती अकादमी बंद होने के बाद अपने घर चली गई तो कुछ दिनों के बाद परेशान रहने लगी इसके बाद कोच शिप्रा से बात की तब उन्होंने कहा कि कैसे भी हो अभ्यास जारी रखना है। तब मैने अपने खेतों के पास जंगल में अभ्यास के लिए एक ट्रैक निर्माण किया और उसी पर अभ्यास किया।