भोपाल, 04 अक्टूबर (अकबर खान)। दुनिया के चार सबसे बड़े मजहबी समागम में शामिल भोपाल का आलमी तब्लीगी इज्तिमा इस बार दिसंबर महीने में आयोजित किया जाएगा। दिल्ली मरकज से इसके लिए तारीखों का एलान कर दिया गया है। इज्तिमा का आगाज आठ दिसंबर को जुमा की नमाज के साथ होगा। चार दिन चलने वाले इस कार्यक्रम का समापन सोमवार 11 दिसंबर को दुआ-ए-खास के साथ होगा। इस धार्मिक समागम में विश्वभर के कई धर्म गुरु शामिल होंगे। जहां अलग अलग सत्रों में धार्म गुरुओं की तकरीरें होंगी। वहीं देश विदेश के जमातें भी इस दौरान मौजूद रहेंगी। यह अनुमान लगाया गया है कि इस बार 10 लाख से ज्यादा जमातें शामिल होंगी।
आलमी तब्लीगी इज्तिमा के प्रवक्ता अतीक उल इस्लाम ने बताया, इस चार दिवसीय धार्मिक समागम को संबोधित करने के लिए देश के बड़े उलेमा तशरीफ लाएंगे। आयोजन में देश-विदेश की सैंकड़ों जमातें शामिल होंगी। उन्होंने बताया कि लगातार बढ़ रही जमातियों की तादाद के लिहाज से अंदाज लगाया जा रहा है कि इस साल इज्तिमा में 10 लाख से ज्यादा लोग शिरकत करेंगे।
अतीक उल इस्लाम ने कहा कि आयोजन की तैयारियों का दौर जल्दी ही शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए ईंटखेड़ी घासीपुरा स्थित इज्तिमागाह की सफाई, पाइप लाइन आदि के कामों को पहले अंजाम दिया जाएगा। इसके बाद सड़क, बिजली, पानी और पंडाल आदि लगाने के काम शुरू किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि विभिन्न तैयारियों के लिए अलग-अलग सरकारी विभागों को चिट्ठी भेजी जा रही है।
विश्व के चार बड़े मजहबी समागम में शामिल
भोपाल का आलमी तब्लीगी इज्तिमा दुनिया के चार बड़े मजहबी समागमों में शामिल है। सबसे बड़ी जमात हज के दौरान मक्का और मदीना में होता है। वहां करीब 40 लाख लोग इकट्ठे होते हैं। जबकि बांग्लादेश और पाकिस्तान में होने वाले आलमी तब्लीगी इज्तिमा में शामिल होने वाली जमातों की तादाद के लिहाज से बड़े आयोजन माने जाते हैं। गौरतलब है कि भोपाल में आलमी इज्तिमा का यह 77वां साल होगा।
इस बार भी पाकिस्तान पर रहेगी पाबन्दी
भोपाल के आलमी तब्लीगी इज्तिमा में विश्व भर की जमातें शामिल होती हैं। इसमें साउथ अफ्रीका, बांग्लादेश, मलेशिया, जॉर्डन, अफगानिस्तान, कनाडा, अमेरिका, इंडोनेशिया समेत तमाम देशों के लोग शिरकत करते हैं। हालांकि पाकिस्तान से रिश्ते सही न होने के कारण कई सालों से यहां की जमातों पर पाबन्दी लगाई गई है। वहीं अतीक उल इस्लाम ने बताया कि इस बार भी पाकिस्तान की जमातों पर पाबन्दी रहेगी।
भोपाल में ऐसे शुरू हुआ इज्तिमा
इज्तिमा अरबी भाषा का शब्द है। इसका मतलब कई लोगों का एक जगह पर इकट्ठा होना है। भोपाल में इज्तिमा की शुरुआत 1947 में मस्जिद शकूर खां में महज 12 या 14 लोगों के साथ की गई थी। इसके 2 साल बाद इसे ताजुल मस्जिद में किया जाने लगा। जब इसमें आने वाले लोगों की संख्या लाखों में होने लगी और मस्जिद कैम्पस छोटा लगने लगा। फिर इसे साल 2015 में बैरसिया रोड स्थित ईंटखेड़ी के पास घासीपुरा में शिफ्ट कर दिया गया। तब से यह यहीं पर लगाया जा रहा है।
पिछले साल 10 लाख से अधिक लोग हुए थे शामिल
इज्तिमे में पिछले साल 10 लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे। इनके खाने-पीने और रहने की बड़े स्तर पर तैयारियां की गई थीं। इस बार भी 10 लाख लोगों के हिसाब से ही तैयारियां भी की जाएंगी।
विधानसभा के चुनाव के कारण तारीखों में तब्दीली
गौरतलब है कि इज्तिमा का आयोजन पिछले कुछ सालों से नवंबर महीने में हो रहा था। लेकिन इस साल विधानसभा का चुनाव होने के कारण इज्तिमा की तारीखों में तब्दीली की गई है। इसलिए इस बार दिसंबर में आयोजित किया जा रहा है। बता दें भोपाल में आलमी तब्लीगी इज्तिमा का यह 77 वां साल रहेगा।