-मुकेश शर्मा/वेब वार्ता, 9617222262
ग्वालियर, 22 सितंबर (वेब वार्ता)। भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा में भाजपा से एक ऐसा चेहरा भी दावेदार है, जो जिले में ही नहीं बल्कि प्रदेश की राजनीति में कद्दावर नाम है जिले की तत्कालीन रौन विधानसभा से भाजपा से विधायक और स्व.सुंदर लाल पटवा की सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार। स्वास्थ्य एवं सामान्य प्रशासन रहे प्रदेश के वरिष्ठ नेता स्व.डाक्टर राजेंद्र प्रकाश सिंह चौहान के बड़े बेटे डॉक्टर अवधेश प्रताप सिंह चौहान किसी परिचय के मुहंताज नहीं है, बचपन से राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के स्वंयसेवक रहे तथा वर्ष 1982 में प्राथमिक वर्ग एवं वर्ष 1983 में प्रथम वर्ष किया वर्ष 1987 में द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त किया। जुलाई 1984 से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में कार्य प्रारम्भ किया। उसके बाद वर्ष 1988 में ग्वालियर महानगर में विद्यार्थी परिषद में प्रचार मंत्री का दायित्व मिला। वर्ष 1990 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में कार्य किया। उसके बाद वर्ष 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा भिण्ड में जिला उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई।
अवधेश प्रताप की कार्य क्षमता से प्रभावित होकर वर्ष 1992 में इनको होम्योपैथिक मेडीकोज यूनियन को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 1995 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, ग्वालियर महानगर में जिला कार्यसमिति सदस्य नियुक्त किया गया। वर्ष 2021 में भारतीय जनता पार्टी, भिण्ड की जिला कार्यकारिणी में जिला कार्य समिति सदस्य बनाया गया। वर्तमान में श्री अवधेश को जन आर्शीवाद यात्रा का 12-मेहगांव विधानसभा क्षेत्र का संयोजक प्रभारी बनाया गया है।
पारिवारिक परिचय
पिता स्व. श्री डॉ. राजेन्द्र प्रकाश सिंह ने गजराराजा मेडीकल कॉलेज ग्वालियर से वर्ष 1967 में एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई पूरी की। चम्बल संभाग के महान सपूत संघ एवं श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया के निकट स्वच्छ छवि, ईमानदार एवं उत्कृष्ट के धनी ने निजी व्यवसाय को त्याग कर समाज सेवा की इसी क्रम में वर्ष 1977 से 1985 तक संघ के विभिन्न दायित्वों का निर्वाहन करते हुये संघ के तहसील कार्यवाह भी रहे। उसके बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी के कहने पर राजनीति में प्रवेश किया। और वर्ष 1984 में भिण्ड, दतिया लोकसभा चुनाव में वसुंधराराजे सिंधिया जी के चुनाव प्रचार में रौन विधानसभा की जिम्मेदारी दी गई। सबसे कम राशि में चुनाव में खर्च करने के बाद बची हुई शेष राशि 22,000 रुपए के आस-पास राजमाता विजयाराजे सिंधिया को वापिस की। और ईमानदारी की मिशाल पेश की इसके तुरन्त बाद फरवरी 1985 में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई।
राजमाता जी ने विधानसभा चुनाव में रौन क्षेत्र से भा.ज.पा. का उम्मीदवार घोषित कर दिया। राजनीति में प्रवेश किया ही था। कांग्रेस प्रत्याशी श्री रमाशंकर सिंह 3000 मतो से चुनाव हार गये। उसके बाद वर्ष 1987 में भा.ज.पा. भिण्ड का जिला अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। अपनी वैचारिक परिपक्ता ईमानदार छवि होने के कारण वे समाज के बीच में संगठन का कार्य पूर्ण ईमानदारी निष्ठा के साथ करते रहे। एक बाद पार्टी व संगठन ने उन पर विश्वास कर वर्ष 1990 में भा.ज.पा. प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में जन समुदाय का प्रचंड बहुमत मिलने के कारण अपने प्रतिद्वन्दी मछण्ड के राजा रघुवीर सिंह जू देव को लगभग 11000 मतो से चुनाव हराया।
संघ और स्व.राजमाता के करीब होने के कारण पहली बार जीतने पर ही आपकों म.प्र. शासन में स्वास्थ्य राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री रहते हुये तमाम जनहितेषी कार्य किये। 6 दिसम्बर 1992 को भारत के कार सेवकों द्वारा विवादित अयोध्या का बाबरी ढाचा ढह दिया गया। जिसके फलस्वरूप केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने चार भा.ज.पा. शासित राज्य सरकारों को बर्खास्त कर दिया। उसके बाद मध्यावधि चुनाव 1993 में हुये, पार्टी संगठन में भरोसा कर टिकिट दिया उस चुनाव में अपने प्रतिद्वन्दी कांग्रेस प्रत्याशी श्री रमाशंकर सिंह को पराजित किया। इसके बाद विधायक रहते हुये पार्टी व संगठन का कार्य किया। इसके बाद लम्बी बीमारी के चलते 5 फरवरी 2020 को चम्बल के सपूत मा.ज.पा. का स्तम्भ हमारे बीच से उठ गया।
धर्मपत्नी
श्रीमती पुष्पलता सिंह
बी.ए.एल.एल.बी. तक शिक्षा प्राप्त हैं और वर्तमान में भिंड जिला पंचायत की सदस्य श्रीमती पुष्पलता सिंह भा.ज.पा. की अजीवन सदस्य एवं पार्टी की सक्रिय कार्यकर्त्ता वर्ष 2022 में वार्ड क्र. 17 अमायन महिला सीट पर भिण्ड जिला में सर्वाधिक मतों से जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुई।
पुत्री क्षिप्रा सिंह (एम.एस.सी. बायोटेक्नोलॉजी)
प्रशिक्षित- भा.भा ऑटोमिक रिसर्च सेन्टर मुम्बई में कार्यरत है
पुत्र आर्य प्रताप सिंह (बी.टेक कम्प्यूटर साइंस)
आर्य प्रताप सिंह ने एक्रोपोलिस कॉलेज इंदौर से बी.टेक की डिग्री की। उसके बाद इसरों में स्पेशल डेटा साइंस की पढ़ाई करने गये। जहां पर उन्होंने इसरों के कई प्रोजेक्ट में अपना योगदान दिया। जैसे- चन्द्रमा से लेण्ड करने से लेकर शुक्र ग्रह पर ऑरगेनिक की खोज करने तक। इसके अलावा उन्होंने डी.एस.टी. डिपार्टमेन्ट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी द्वारा सम्मानित भी किया गया।
इस समय आर्यप्रताप सिंह भारत के पहले एक्स कम्प्यूटिंग मिशन पर बैंगलोर में एक प्रायवेट कम्पनी में वैज्ञानिक के रूप में सेवा दे रहे है। क्या इतनी मजबूत पारिवारिक पृष्ठ भूमि का व्यक्ति विधानसभा चुनाव में दावेदार नहीं होसकता? यह विचार सत्ता और संगठन दोनों को करना चाहिए। क्योंकि जातिगत समीकरण के हिसाब से भी देखा जाए तो डॉक्टर अवधेश प्रताप सिंह की दावेदारी मजबूत बनती है, जबसे रौन विधानसभा खत्म हुई है तबसे रोन का अधिकतर क्षेत्र मेंहगांव विधानसभा में शामिल हो गया है, जहां पर अवधेश प्रताप अन्य दावेदारों की अपेक्षा मजबूत स्थिति में हैं वैसे जनाधार तो पूरी विधानसभा में है ही।