वेबवार्ता: कुशीनगर 2 सितम्बर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर (Kushinagar) जिले के पडरौना शहर में लगे विद्युत तार और पोल दशक पुराने हो जाने से आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। नगर के सड़कों के ऊपर से गुजरने वाले जर्जर तार आय दिन टूटकर गिरना व चिंगारी निकलने से राहगीर भी सहम जाते हैं। तार-पोल इतने जर्जर हैं कि हर दिन फॉल्ट की समस्या उत्पन्न होती है। इसके चलते नगर में बार-बार बिजली आपूर्ति ठप हो होती है।
पूर्व केंदीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह बदहाल विद्युत व्यवस्था को ठीक करने के लिये जनपद में आरएपी / डीआरपी योजना लाये थे। किन्तु विभाग द्वारा कुछ कार्य कराकर अधुरा ही छोड़ दिया गया। इसके बाद विद्युत विभाग जर्जर तारों को बदलने के बजाय इन तारों पर बांस की फट्यिों को बांध कर बिजली सप्लाई दे रहा है। नगर के दो मुहल्लों में तो ट्रांसफार्मर काफी दिनों से खराब होने पर बदलने के बजाय विभाग मोबाइल ट्रांसफार्मर लगाकर ही काम चला रहा है।
पडरौना नगर के सड़कों के ऊपर से गुरज रहे जर्जर तार कब टूटकर गिर जाये इसका कोई भरोसा नहीं। नगर में लगे विद्युत पोल पर जर्जर हो चुके तारों को विद्युत विभाग बदलने के बजाये बांस की फट्यिां बांध कर जुगाड़ कर नगर में बिजली की सप्लाई दे रहा है। नगर के रामकोला रोड़, सुभाष चौक, तिलक चौक पर तो हालत ये है, कि झूलते तार जगह–जगह इतने नीचे आ गए हैं, जिससे इनके आसपास बस ट्रक या अन्य बड़े वाहन खड़े होने पर दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
वहीं, नगर के मुन्ना कालोनी और साहबगंज मुहल्लें में काफी दिनों से ट्रांसफार्मर जले हैं ! विभाग द्वारा वहां सड़क के किनारे मोबाइल ट्रांसफारर्मर लगा कर बिजली की सप्लाई दी जा रही है। इसके बाद आये दिन ओवर लोड़ होने से फाल्ट की समस्या बनी हुई है। तार इतने पुराने और जगह-जगह टुट्टे हैं ! जिससे हल्की हवा आने या बरसात के दिनों में तो आपस में टकराने से फाल्ट हो जाती है।
जनपद की विद्युत व्यवस्था को ठीक करने और नगर में जर्जर तारों व खंबो को बदलने के लिए पूर्व केंदीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह द्वारा आरएपी / ;री स्ट्रक्टर्ड एसिलरेटेड पॉवर डवलपमेंट रकिफार्म्स प्रोग्राम, योजना भी लागू कराई गई थी ! जिसमें पडरौना नगर के जर्जर तारों व खंभों के साथ ट्रांसफॉर्मरों की क्षमता भी बढ़ाई जानी थी। लेकिन विभाग द्वारा कुछ जगहो पर जर्जर तारों व खंभों को बदलने व साथ ट्रांसफॉर्मरों की क्षमता बढ़ाने के बाद थोड़ा काम कराकर उसे ज्यों का त्यों छोड़ दिया गया। उसके बाद आज तक तार व खंभे नहीं बदले गये जुगाड़ के सहारे ही बिजली की सप्लाई चल रही है।
इस योजना में पडरौना शहर के लिये करीब दस करोड़ का बजट भी मिला था। लेकिन विद्युत विभाग ने बिजली निगम ने नगर के कुछ स्थानों पर ही तार–पोल एवं ट्रांसफॉर्मर बदलकर खानापूरी कर ली। यही वजह है कि आज भी शहर के कोतवाली, धर्मशाला, मेन बाजार, रामकोला, जटहां बाजार आदि प्रमुख जगहो पर जर्जर तारों और पोलों के सहारे सप्लाई होने से आये दिन तार टूटकर गिर जाते हैं। फाल्ट के चलते तारों से चिंगारियां निकलने लगती हैं।