वेबवार्ता: कुशीनगर ! जिले (Kushinagar) के किसानों पर सूखे के साथ बाढ़ की भी मार पड़ रही है। एक ओर जहां सूखे की चपेट में आने से जिले के किसान अपनी उपज को लेकर चिंतित हैंए वहीं दूसरी ओर बाढ़ ने खड्डा क्षेत्र में करीब पचास एकड़ फसल लील ली है। इन खेतों में गन्ने व धान की फसलें बोयी गयी थी। इस इलाके में नदी अभी भी कटान कर रही है।
गोरखपुर मंडल के चार जनपदों में कुशीनगर में बरसात के मौसम में सबसे कम बारिश हुई है। जिले में अब तक महज 518 एमएम बारिश हुई है। पिछले साल एक सितंबर तक जिले में 954 एमएम बारिश हुई थी। बारिश कम होने का सीधा प्रभाव किसानों पर पड़ा है। जून के अंतिम सप्ताह में मानसून के सक्रिय होने पर किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी लेकिन मानसून के ड्राइ स्पेल में जाने के कारण किसान परेशान रहे।
जुलाई महीने में 20 दिन बाद बारिश होने से किसानों को थोड़ी राहत मिलीए लेकिन बारिश कम होने के कारण किसान परेशान रहे। जिले में अब तक औसत बरसात से आधा से कम बारिश हुई है। इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। किसान पंपिंगसेट से पानी चलाकर थक चुके हैं।
पिछले दिनों कृषि विभाग ने राजस्व टीम के साथ नुकसान को लेकर सर्वे किया। इसमें बीस फीसदी फसलों के नुकसान की संभावना जतायी। इसके बाद डीएम ने एक फिर से नये सिरे से नुकसान का सर्वे करने के निर्देश दिए हैं। सर्वे में जुटे लोगों का कहना है कि फसल हरी दिख रही है। ऐसे में सटीक अनुमान लगा पाना कठिन है। फिर भी कोशिश की जा रही है।
एक ओर सूखे की मार है तो दूसरी ओर खड्डा क्षेत्र में नारायणी नदी की बाढ़ ने फसलों की कटान तेज कर दी है। रेता क्षेत्र की करीब 50 एकड़ फसल नदी की कटान में समा चुकी है। महादेव समेत रेता क्षेत्र के गांवों में गन्ना व धान की फसलें बाढ़ से बर्बाद हो रही है। रेता क्षेत्र के लोग हर साल बाढ़ का कहर झेलते हैं। पिछले साल इस इलाके में करीब डेढ़ सौ एकड़ फसल बाढ़ की भेंट चढ़ गयी थी।