वेबवार्ता: ग्वालियर।ब्राह्मण समाज के विरुद्ध भाजपा नेता प्रीतम लोधी द्वारा कीगई कथित अमर्यादित टिप्पणी के चलते मध्यप्रदेश के तथाकथित ब्राह्मण नेता और कुछ भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती के विरोधी काफी सक्रिय होगये परिणामस्वरूप प्रीतम लोधी को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया।
उल्लेखनीय है प्रीतम लोधी भाजपा के एक मात्र ऐसे नेता हैं जो पिछोर विधानसभा में कांग्रेसी दिग्गज केपी सिंह कक्काजू को बीते दो चुनाव से लगातार कड़ी टक्कर दे रहे थे यह बात कुछ पंजा छाप भाजपा नेताओं को हजम नहीं हो रही थी।दूसरी बात यह है कि मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराव बंदी को लेकर प्रदेश सरकार पर हमलावर हैं प्रीतम लोधी उमा भारती के खास लोगोंमें शामिल हैं इस बात से सत्ता ने उमा भारती को भी एक तरह से संकेत देदिया।
खैर यह तो मामला रहा सरकार और उमा भारती के बीच का हम बात करते हैं कि प्रीतम के निष्कासन से ब्राह्मणों क्या राजनैतिक नफा,नुकसान होगा? तो मध्यप्रदेश में लोधी समाज के लगभग आधा दर्जन प्रत्याशी लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ते हैं।और कांग्रेस एवं भाजपा को मिलाकर लगभग 60 से 70 ब्राह्मण प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरते हैं प्रदेश में लगभग विधानसभा और लोकसभा की 25 सीटों पर लोधी वोट असर रखता है इस सारे एपिसोड से कांग्रेस , भाजपा को लाभ होगा या हानि पर दोनों राजनैतिक दलों के ब्राह्मण प्रत्याशियों का नुकसान तय है।
मध्यप्रदेश में प्रीतम लोधी एक मामूली से भाजपा कार्यकर्ता का नाम है | वो भाजपा के अनुशासन दंड से मारा गया | उसे सजा मिलने से मध्यप्रदेश के ब्राम्हण समाज में ख़ुशी है,प्रीतम उमा भारती के समर्थक हैं | उनसे उमा जी की भाईबंदी है | प्रीतम ने पिछले दिनों लोधी समाज की एक सभ में कथा वाचको की पोंगापंती पर टिप्पणी की थी |प्रीतम ने कहा था कि भागवत कथाएं करने वाले कथावाचकों की नजर कथाश्रवण करने आने वाली खूबसूरत औरतों पर रहती है | कथावाचक युवा और खूबसूरत महिला भक्तों को आगे की लाइन में बैठने को कहते हैं और उनके साथ नृत्य करते हैं | प्रीतम की इस टिप्पणी से प्रदेश का ब्राम्हण समाज बिदक गया | प्रीतम के खिलाफ अनेक थानों में समाज में विद्वेष फ़ैलाने वाली टिप्पणी करने के मामले दर्ज करा दिए गए |
असामाजिक गतिविधियों को त्याग कर राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय प्रीतम मामले दर्ज होने से कभी नहीं घबड़ाते | पुलिस रिकार्ड में उनके खिलाफ हत्या,हत्या के प्रयास ,अपहरण,लूट डकैती और डराने-धमकाने के दर्जनों मामले अतीत में दर्ज हो चुके हैं | लेकिन प्रीतम के विरुद्ध जैसी इकतरफा कार्रवाई एक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में भाजपा ने की है ,वैसी कार्रवाई कभी किसी के विरुद्ध नहीं हुई | जबकि प्रीतम ने वीडियो एवं पत्र जारी कर सार्वजनिक रूपसे माफी मांग लीथी।
प्रीतम की ब्राम्हण विरोधी टिप्पणी से भाजपा के ब्राम्हण प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की भावनाएं भी आहत हुई | प्रीतम को फौरन भोपाल तलब किया गया | उससे सार्वजनिक माफीनामा भी लिखवाकर वायरल कराया गया | मामला यही समाप्त नहीं हुआ,अध्यक्ष ने प्रीतम को भोपाल से ग्वालियर पहुँचने के पहले ही भाजपा की प्राथमिक सदस्य्ता से भी बर्खास्त कर दिया | देखने में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की ये अनुशासनात्मक कार्रवाई बड़ी अच्छी लगती है,किन्तु इससे प्रदेश का लोधी समाज भाजपा से क्षुब्ध हो गया है |
प्रीतम लोधियों के बड़े नेता हैं | इस लिए एक तीर से दो निशाने साध लिए भाजपा के ब्राम्हण प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने | कम से कम ब्राम्हण तो अब संतुष्ट हैं | ब्राम्हण वैसे भी सदा संतोषी जीव है | जरा में क्षुब्ध होता है और जरा में संतुष्ट |
दुर्भाग्य से जन्मना मै भी ब्राम्हण हूँ ,किन्तु मै प्रीतम जैसे कम पढ़े-लिखे लोगों की टिप्पणियों से कभी आहत नहीं होता .मेरा ब्राम्हणत्व अलग तरीके का है | ब्राम्हणों में कुछ परशुराम के वंशज भी होते हैं | उनकी भावनाएं कठमुल्लों की भांति छुई-मुई जैसी होती हैं | फौरन आहत हो जाती हैं | फौरन तुष्ट भी हो जाती हैं |भाजपा को तुष्टिकरण कांग्रेस के मुकाबले अब बेहतर तरीके से करना आता है | वीडी शर्मा ने ये जाहिर भी कर दिया |
सवाल ये है कि आखिर प्रीतम ने ऐसा क्या कह दिया था जो ब्राम्हणों की अस्मिता और ब्राम्हणत्व के खिलाफ था ? क्या प्रीतम का कथन सही नहीं है ? देश में सभी कथावाचक ब्राम्हण तो नहीं हैं ,फिर ब्राम्हण क्यों नाराज हुए ? सवाल ये है कि भाजपा में प्रीतम जैसे अर्धसत्य कहने वाले कितने नेता [ ?] हैं ? ब्राम्हणों में कितने नेता हैं जो प्रीतम की तरह पुलिस की डायरी में हिस्ट्री शीटरों की तरह दर्ज नहीं हैं ? क्या आज से पहले सभी के खिलाफ ऐसी कार्रवाई की गयी भाजपा नेतृत्व की और से ?
अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई सदैव स्वागत योग्य होती है ,किन्तु ‘ सिलेक्टिव्ह ‘ कार्रवाई हमेशा सवालों के घेरे में रहती है | राजनीति में वैसे भी कोई अपावन नहीं होता | राजनीति में जो जितना बड़ा अपराधी होता है, उसका उतना ज्यादा सम्मान होता है | अपराधियों के सम्मान से किसी दल विशेष का कोई लेना-देना नहीं है | ये एक प्रवृत्ति है,जो हर राजनीतिक दल में है |फर्क सिर्फ इतना है कि सत्तारूढ़ दल में रहते हुए हर अपराधी अपने कुकर्मों ,अपराधों से स्वत्: विमोचित यानि मुक्त हो जाता है और विपक्ष में पहुँचते ही उसके सारे कुकर्म और अपराध संज्ञान में आ जाते हैं |
किसी की भावनाओं को आहत करने का हक किसी को भी नहीं है,फिर चाहे वो भाजपा की नुपुर हों या भाजपा केप्रीतम | नूपुर का अपराध प्रीतम से कहीं ज्यादा है लेकिन उसे आजतक पार्टी की प्राथमिक सदस्य्ता से बर्खास्त नहीं किया गया | किया भी नहीं जा सकता ,क्योंकि नूपुर भविष्य के लिए उपयोगी है और प्रीतम नहीं | प्रीतम तो वैसे भी कुछ नहीं है |बेचारा मिट्टी का माधौ है | उसे तो भाजपा की ऊर्जावान नेत्री सुश्री उमा भारती ने सृजित किया है | प्रीतम ने उमा जी के हर सुख-दुःख में साथ दिया है | वे जब भाजपा से बाहर थीं तब भी प्रीतम उनके साथ था और जब वे भाजपा में वापस आयीं तब भी प्रीतम उनके साथ है | यानि प्रीतम का भाजपा से नहीं बल्कि उमा जी से रिश्ता है ,इसे किसी पार्टी की कोई भी अनुशासन समिति नहीं तोड़ सकती |
प्रीतम के बहाने भाजपा ने उमा भारती को इशारा कर दिया है कि वे अब ज्यादा उछल-कूंद न करें | उमा जी अपने भतीजे को अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित करने के लिए अपने गृह जिला टीकमगढ़ में राजनीतिक उत्पात करती रहतीं हैं | अभी उमा जी के मन में राजनीतिक महत्वाकांक्षा मरी नहीं है ,भले ही पार्टी नेतृत्व ने उन्हें किनारे कर दिया है | अब देखना होगा कि वे अपने कटटर समर्थक प्रीतम के खिलाफ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा द्वारा की गयी सख्त कार्रवाई को लेकर क्या रुख अपनाती हैं ? भाजपा में हर तरफ प्रीतम भरे पड़े हैं | कांग्रेस भी भाजपा के प्रीतम एपिसोड के मजे ले रही है | पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ गोविंद सिंह ने इस मामले चुटकी ली है पर देवाशीष जरारिया और फूलसिंह बरैया पर कुछ नहीं बोले।