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Sunday, September 24, 2023

पुहपुटरा रीपा में टसर रेशम धागाकरण का काम कर महिलाएं कर रहीं अच्छी कमाई, बाजार की चिंता नहीं, रेशम विभाग ही कर रहा क्रय-विक्रय

अम्बिकापुर, (वेब वार्ता)। घरेलू काम-काज में व्यस्त रहने वाली महिलाएं आज शासन की मदद से स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ी हैं। महिलाएं जहां एक ओर घर-परिवार की जिम्मेदारी निभा रहीं हैं, वहीं दूसरी ओर स्व सहायता समूह से जुड़कर अच्छी आमदनी भी कमा रहीं हैं। ऐसा ही एक उदाहरण पेश कर रहीं हैं, सरगुजा जिले के विकासखण्ड लखनपुर के रीपा गौठान पुहपुटरा की स्व सहायता समूह की महिलाएं। महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क योजना के तहत गौठान में टसर धागाकरण का कार्य प्रारंभ किया गया है। कार्य हेतु इच्छुक समूह की 20 महिलाओं का चयन कर जिला प्रशासन द्वारा उन्हें मशीन तथा अन्य आवश्यकताओं हेतु आर्थिक सहायता प्रदान किया गया।

समूह की दीदी श्रीमती मीना राजवाड़े बताती हैं कि धागाकरण हेतु रेशम विभाग के माध्यम से तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। महिलाओं ने रुचि लेकर उत्साहपूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण पश्चात रेशम विभाग द्वारा टसर ककून खरीदकर हमने स्वयं धागा निकालना प्रारंभ किया और मात्र 2 महीने में ही समूह के द्वारा लगभग 2 किलोग्राम टसर धागा निकाला गया है। धागा बेचकर हमने अब तक 11 हजार रुपये की आमदनी प्राप्त की है। उन्होंने बताया कि रेशम धागाकरण की सबसे अच्छी बात यह है कच्चे माल एवं उससे निकाले गए धागे के विक्रय हेतु इन्हें कोई बाजार तलाशना नहीं पड़ता, रेशम विभाग का ककून बैंक स्वयं क्रय-विक्रय कर नकद भुगतान प्रदान करता है। समूह की अन्य महिलाओं ने बताया कि रोजगार हेतु अब हमें गांव से बाहर जाने की जरुरत नहीं है, शासन के मदद से घर सम्हालने के साथ ही साथ हम आर्थिक रूप से भी समृद्धि हो रहे हैं। उन्होंने इस हेतु शासन-प्रशासन को धन्यवाद दिया है।

गौरतलब है कि महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क आज गांवों में स्थानीय रोजगार और उद्यमिता विकास का एक महत्वपूर्ण जरिया बन गया है। इनसे जुड़कर महिलाएं, युवा, किसान और मजदूरों समेत हर वर्ग के लोग आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार युवाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करते हुए उन्हें नवाचार, स्व-रोजगार और उद्यमिता की ओर प्रोत्साहित कर रही है। इसी कड़ी में सरगुजा जिले में 14 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क संचालित हैं जहां 200 से भी ज्यादा महिलाओं और युवाओं को स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है।

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